चंडीगढ़ से योग के स्वास्थ्य लाभों पर नई रिसर्च

योग के लाभ: चंडीगढ़ से स्वास्थ्य के रहस्य का खुलासा
स्वस्थ रहने के लिए योग का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और फैटी लीवर का इलाज योग से संभव है। यही कारण है कि कोरोना महामारी के बाद अधिक लोग नियमित रूप से योग करने लगे हैं। पीजीआई में तीन चिकित्सकों ने योग पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है, और उनके शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा, छह डॉक्टर एमडी और दो डीएम की पढ़ाई कर रहे हैं। योग दिवस पर, इन तीनों डॉक्टर्स ने अपनी अध्ययन के परिणाम साझा किए।
प्री-डायबिटिक मरीजों में सुधार
एक अध्ययन में 160 प्री-डायबिटिक व्यक्तियों को शामिल किया गया। इनमें से 80 लोगों ने तीन महीने तक रोजाना एक घंटे आयुष योग प्रोटोकॉल का पालन किया, जिसमें सूर्य नमस्कार, पवनमुक्त आसन, मंडूक आसन, भुजंगासन और प्राणायाम शामिल थे। तीन महीने बाद, इस समूह का शुगर स्तर सामान्य पाया गया, जबकि दूसरे समूह में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया। यह अध्ययन डायबेटोलॉजी एंड मेटाबॉलिक सिंड्रोम इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। -डॉ. नवनीत कौर, सहायक प्रोफेसर, शारीरिक शिक्षा, पीयू
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए योग प्रोटोकॉल
दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में गर्भवती महिलाओं को भद्रासन, ताड़ासन, अर्धकटि चक्रासन, दंडासन, वक्रासन, अनुलोम विलोम और भ्रामरी जैसे आसनों का अभ्यास कराया गया। 35 महिलाओं को यह प्रोटोकॉल दिया गया, जबकि 35 महिलाओं को नहीं। योग करने वाली महिलाओं में तनाव और घबराहट में कमी देखी गई। अम्बिलिकल कॉर्ड से स्टेम सेल निकालने पर उनकी प्रभावशीलता में सुधार पाया गया। यह अध्ययन प्रेग्नेंसी योग प्रोटोकॉल इंटरनेशनल फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। -डॉ. पूजा नढोलता, पीएचडी, एपिजेनिटेनिक्स इन योग साइंस, पीजीआई
कॉमन योग से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
सामान्य व्यक्तियों को कॉमन योग प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा गया, जिससे उनके बौद्धिक कार्यों में सुधार हुआ। कुछ आणविक परिवर्तन भी देखे गए, जैसे न्यूरोजेनेसिस और एंजियोजेनेसिस के मार्कर्स में सुधार। इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि हुई। 70 व्यक्तियों को 45 मिनट का कॉमन योग प्रोटोकॉल तीन महीने तक कराया गया। यह अध्ययन इंटरनेशनल एक्सप्लोर जर्नल और जर्नल ऑफ मल्टी डिसीप्लीनरी हेल्थ केयर में प्रकाशित हुआ है। -डॉ. कनुप्रिया, न्यूरो साइंस रिसर्च लैब, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी, पीजीआई