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चीन के वैज्ञानिकों ने विकसित किया बोन ग्लू, जो हड्डियों को तेजी से जोड़ता है

चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई चिकित्सा तकनीक, बोन ग्लू, विकसित की है, जो टूटी हुई हड्डियों को केवल 2-3 मिनट में जोड़ने की क्षमता रखती है। यह बायोडिग्रेडेबल गोंद पारंपरिक धातु प्रत्यारोपण की आवश्यकता को समाप्त करता है और सर्जरी को तेज और सुरक्षित बनाता है। जानें इस नवाचार के लाभ और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में।
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चीन के वैज्ञानिकों ने विकसित किया बोन ग्लू, जो हड्डियों को तेजी से जोड़ता है

बोन ग्लू: एक नई चिकित्सा तकनीक


चीन के वैज्ञानिकों ने एक अद्वितीय चिकित्सा नवाचार के तहत दुनिया का पहला बोन ग्लू विकसित किया है। यह एक बायो-एडहेसिव है, जो टूटी हुई हड्डियों को केवल 2-3 मिनट में जोड़ने की क्षमता रखता है। इस तकनीक के माध्यम से पारंपरिक धातु प्रत्यारोपण जैसे रॉड, स्क्रू या प्लेट की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवाचार आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।


इस विचार का आधार समुद्री जीवों से प्रेरित है, जो एक प्राकृतिक चिपचिपे पदार्थ के साथ चट्टानों से मजबूती से चिपके रहते हैं। इसी गुण को ध्यान में रखते हुए, शोधकर्ताओं ने एक ऐसा गोंद तैयार किया है जो इसी चिपकने वाली शक्ति का अनुकरण करता है। यह गोंद बायोडिग्रेडेबल है, जिसका अर्थ है कि यह लगभग छह महीनों में मानव शरीर में सुरक्षित रूप से घुल जाता है, बिना किसी हानिकारक अवशेष के।


बोन ग्लू की कार्यप्रणाली

सर्जरी के दौरान, इस गोंद को सीधे टूटी हुई हड्डी पर लगाया जाता है। कुछ ही मिनटों में, यह सख्त होकर टूटे हुए हिस्सों को मजबूती से जोड़ देता है। समय के साथ, शरीर इसे स्वाभाविक रूप से अवशोषित कर लेता है, जिससे हड्डी की मजबूती में सुधार होता है। यह चिपकने वाला पदार्थ विषाक्त नहीं होता और शल्य-चिकित्सकों के लिए इसे लगाना आसान होता है।


बोन ग्लू के लाभ

तेज़ और सरल सर्जरी: डॉक्टरों को अब धातु की छड़ें या स्क्रू लगाने की आवश्यकता नहीं है।


कोई स्थायी बाहरी पदार्थ नहीं: यह गोंद महीनों में घुल जाता है और शरीर में कोई निशान नहीं छोड़ता।


कम दर्द और कम लागत: यह धातु प्रत्यारोपण का एक सस्ता और कम आक्रामक विकल्प है।


बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए सुरक्षित: यह धातु-आधारित प्रत्यारोपण से अधिक जोखिम वाले मरीजों के लिए आदर्श है।


प्राकृतिक और जैव-संगत: शरीर इसे स्वाभाविक रूप से स्वीकार करता है, जिससे जटिलताएँ कम होती हैं।


चिकित्सा क्रांति की शुरुआत

इस खोज को चिकित्सा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। यदि इसे वैश्विक स्तर पर अपनाया जाता है, तो बोन ग्लू फ्रैक्चर के इलाज के तरीके को नया रूप दे सकता है। इससे आर्थोपेडिक सर्जरी तेज, सुरक्षित और कम दर्दनाक हो जाएगी। यह नवाचार लाखों रोगियों के लिए भारी धातु प्रत्यारोपण का अंत कर सकता है और प्राकृतिक उपचार के एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।