Newzfatafatlogo

चीन में गधों के व्यापार पर चिंता: पारंपरिक दवा के लिए बढ़ती मांग

चीन में गधों का व्यापार एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है, जहाँ पारंपरिक दवा 'ऐजियाओ' की बढ़ती मांग के कारण गधों की संख्या में भारी कमी आई है। पशु अधिकार संगठनों ने इस व्यापार पर चिंता जताई है, जबकि कई देशों ने गधों के निर्यात पर सख्त नियम लागू किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो गधे एक दुर्लभ प्रजाति बन सकते हैं। जानें इस मुद्दे के पीछे की पूरी कहानी।
 | 

गधों का व्यापार और उसकी चुनौतियाँ

चीन, जो कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस समय एक अनोखी और चिंताजनक स्थिति का सामना कर रहा है। यहाँ गधों के व्यापार का एक बड़ा उद्योग है, जो 'ऐजियाओ' नामक पारंपरिक दवा बनाने के लिए गधे की खाल का उपयोग करता है। इस उद्योग का मूल्य लगभग 6.8 बिलियन डॉलर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये) है। हालाँकि, यह उद्योग अब गंभीर संकट में है, जिसके चलते चीन को अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों से गधों की आपूर्ति के लिए मदद मांगनी पड़ रही है।


ऐजियाओ, जो गधे की खाल से निर्मित एक प्रकार का जिलेटिन है, का उपयोग पारंपरिक चीनी चिकित्सा में महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने, रक्त संचार में सुधार और बुढ़ापे को रोकने के लिए किया जाता है। इस दवा की मांग में वृद्धि के कारण गधों की अवैध तस्करी और हत्या में भी वृद्धि हुई है, जिससे पिछले 20 वर्षों में चीन में गधों की संख्या में 76 प्रतिशत की कमी आई है।


गधों की संख्या में कमी के कारण, चीन अब अन्य देशों से गधों का आयात कर रहा है, जिसका प्रभाव उन देशों की ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है, जहाँ गधे खेती और माल ढुलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं।


पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस व्यापार पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि गधों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है, उन्हें लंबी यात्राओं के दौरान पर्याप्त भोजन और पानी नहीं दिया जाता। इस क्रूर व्यापार को रोकने के लिए भारत सहित कई देशों ने गधों के निर्यात और हत्या पर सख्त नियम लागू किए हैं। कई अफ्रीकी देशों ने भी इस व्यापार को रोकने के लिए कानून बनाए हैं।


विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो गधे एक दुर्लभ प्रजाति बन सकते हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से 'ऐजियाओ' के लिए वैकल्पिक समाधान खोजने की अपील की जा रही है।