जलवायु परिवर्तन: अफ्रीका की खाद्य सुरक्षा पर गंभीर खतरा

जलवायु परिवर्तन की चुनौती
जलवायु परिवर्तन: अफ्रीका के लिए जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ अफ्रीकाज एनवायरमेंट 2025' में चेतावनी दी गई है कि यदि वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ता है, तो अफ्रीका की खाद्य सुरक्षा पर गंभीर संकट उत्पन्न होगा। यह रिपोर्ट 18 सितंबर 2025 को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में जारी की गई, जिसमें बताया गया कि अफ्रीका की 70% जनसंख्या छोटे किसानों और बारिश पर निर्भर है, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
कृषि उत्पादन पर खतरा
कृषि पैदावार पर खतरा: रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक सहारा के दक्षिणी क्षेत्रों में मक्का उत्पादन में 22% की कमी आ सकती है, जबकि जिम्बाब्वे और दक्षिण अफ्रीका में यह गिरावट 30% से अधिक हो सकती है। गेहूं की पैदावार में 35% तक की कमी आने की संभावना है। हालांकि कुछ फसलों में अल्पकालिक वृद्धि संभव है, लेकिन अनाज और बागवानी फसलों में होने वाली हानि इस लाभ को समाप्त कर देगी।
कोको उत्पादन में संकट
कोको उत्पादन में संकट: पश्चिमी और मध्य अफ्रीका, जो विश्व का 70% कोको उत्पादन करते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण कोको की खेती पर प्रभाव डाल रहा है। शोध के अनुसार, 2050 तक कोको के लिए उपयुक्त क्षेत्र आधे हो सकते हैं। आइवरी कोस्ट और घाना में 12%, नाइजीरिया में 10% और कैमरून में 2% उत्पादन में गिरावट की आशंका है। भविष्य में कोको उत्पादन का केंद्र पूर्वी देशों की ओर स्थानांतरित हो सकता है।
पानी और मत्स्य संसाधनों पर प्रभाव
पानी और मत्स्य संसाधनों पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन ताजे पानी की उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा। बढ़ती जनसंख्या के साथ ताजे पानी का संकट और गहरा हो सकता है। समुद्रों का गर्म होना और अम्लीयकरण तटीय क्षेत्रों के मत्स्य संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे लाखों लोगों का पोषण खतरे में है। पश्चिमी अफ्रीका में मत्स्य संसाधनों की कीमत 20% तक घट सकती है।
जैव विविधता और वनों की चुनौती
जैव विविधता और वनों की चुनौती: रिपोर्ट में कैमरून जैसे देशों में कोको उत्पादन बढ़ने की संभावना के साथ-साथ जंगलों और जैव विविधता पर खतरे की बात कही गई है। वर्षावनों को बचाने और कोको उत्पादन को बढ़ाने के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी। अफ्रीका को इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।