Newzfatafatlogo

जिनेवा में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रदर्शनी का आयोजन

जिनेवा में आयोजित एक प्रदर्शनी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न समुदायों के खिलाफ भेदभाव और अत्याचारों पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रदर्शनी ने दर्शकों को इन मुद्दों के प्रति जागरूक किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपील की।
 | 
जिनेवा में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रदर्शनी का आयोजन

प्रदर्शनी का उद्देश्य

जिनेवा: ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस (जीएचआरडी) ने जिनेवा में ब्रोकन चेयर स्मारक के निकट प्रतिष्ठित प्लेस डेस नेशंस में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करना था। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 8 से 10 सितंबर तक चला और इसमें आम जनता, सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों की बड़ी संख्या ने भाग लिया।


प्रदर्शनी की सामग्री

प्रदर्शनी में प्रभावशाली पोस्टर, सांख्यिकीय आंकड़े और पीड़ितों के चित्र प्रदर्शित किए गए, जिन्होंने पाकिस्तान में अहमदिया, सिंध और बलूच समुदायों के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों की आवाज को उठाया। ये समुदाय अक्सर नजरअंदाज किए जाते हैं या उनके खिलाफ भेदभाव किया जाता है।


जीएचआरडी का बयान

जीएचआरडी ने एक बयान में कहा, "ये समूह व्यवस्थित भेदभाव, लक्षित हिंसा, जबरन धर्मांतरण, अपहरण और धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के सदस्यों को कानूनी रूप से मताधिकार से वंचित किया जाता है और वे अक्सर नफरत भरे अभियानों का शिकार होते हैं। बलूच और सिंधी कार्यकर्ताओं को भी जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं का सामना करना पड़ता है।"


बांग्लादेश में स्थिति

बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को धमकियों, पूजा स्थलों के विनाश और राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन में हाशिए पर धकेले जाने का सामना करना पड़ता है। दोनों देशों में पीड़ितों को अक्सर न्याय और सुरक्षा नहीं मिलती, जिससे वे बार-बार दुर्व्यवहार के शिकार होते हैं। प्रदर्शनी ने इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और दर्शकों को इन समुदायों के खिलाफ हो रहे भेदभाव और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।


आगंतुकों की प्रतिक्रिया

प्रदर्शनी में आए आगंतुकों ने सामग्री का गहन अध्ययन किया और कई ने एकजुटता के भावपूर्ण वक्तव्य दिए, साथ ही अधिक अंतरराष्ट्रीय जागरूकता और कार्रवाई का आह्वान किया। प्रदर्शनी को मिले जबरदस्त स्वागत ने दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की स्थिति के प्रति बढ़ती चिंता को दर्शाया। जीएचआरडी ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से कमजोर समुदायों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया।


मानवाधिकार परिषद का सत्र

इस सप्ताह की शुरुआत में जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में 'हाशिये से आवाजें: दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा' शीर्षक से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने दक्षिण एशिया में धार्मिक उत्पीड़न की चिंताजनक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया। जीएचआरडी ने इस कार्यक्रम का आयोजन अपने सहयोगियों के साथ मिलकर किया, जिसमें विभिन्न देशों के नागरिक समाज और स्थायी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।