टाइफाइड: लक्षण, पहचान और बचाव के उपाय
टाइफाइड क्या है?
नई दिल्ली: टाइफाइड एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः दूषित जल या खाद्य पदार्थों के सेवन से फैलती है। यह बीमारी Salmonella Typhi नामक बैक्टीरिया के कारण होती है, जो आंतों को संक्रमित कर खून में प्रवेश कर सकती है, जिससे पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है।
टाइफाइड का प्रसार कैसे होता है?
डॉक्टर अनुज कुमार के अनुसार, खुले में बिकने वाला पानी, ठेले पर मिलने वाले कटे फल, सलाद और गंदे हाथों से तैयार भोजन टाइफाइड के फैलने के सामान्य कारण हैं। खराब सीवेज प्रणाली और दूषित पानी भी संक्रमण को बढ़ाते हैं। बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर आंतों में संक्रमण करता है, जिससे शुरुआती लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर यह गंभीर हो सकता है।
टाइफाइड की पहचान कैसे करें?
टाइफाइड का सही पता लगाने के लिए जांच आवश्यक है, क्योंकि इसके लक्षण अन्य बुखारों जैसे वायरल फीवर, मलेरिया या डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं। सामान्य लक्षणों में लंबे समय तक रहने वाला बुखार, कमजोरी, पेट दर्द, भूख में कमी, सिरदर्द और कभी-कभी दस्त या कब्ज शामिल हैं। डॉक्टर आमतौर पर ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, जिसमें विडाल टेस्ट सबसे सामान्य है।
टाइफाइड का उपचार
टाइफाइड का इलाज मुख्यतः एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। डॉक्टर मरीज की उम्र, लक्षणों और बीमारी की गंभीरता के अनुसार उपयुक्त एंटीबायोटिक निर्धारित करते हैं। सामान्य मामलों में मौखिक टेबलेट दी जाती हैं, जबकि गंभीर मामलों में इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
टाइफाइड से बचाव के उपाय
साफ पानी का सेवन करना, पानी को उबालकर या फिल्टर करके उपयोग करना, बाहर के कटे फल, सलाद और गंदे पानी से बने खाद्य पदार्थों से बचना आवश्यक है। हाथों को साबुन से धोना और भोजन बनाने से पहले स्वच्छता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। बच्चों के लिए टाइफाइड का टीका लगवाना बहुत फायदेमंद है, जो संक्रमण की संभावना को कम करता है।
