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डिजिटल आई स्ट्रेन: स्क्रीन के लंबे उपयोग से आंखों की सुरक्षा कैसे करें

आज की डिजिटल दुनिया में, स्क्रीन का उपयोग बढ़ने के साथ-साथ आंखों की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। डिजिटल आई स्ट्रेन, जिसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहा जाता है, एक गंभीर स्थिति है जो लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से होती है। इससे आंखों में जलन, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि डिजिटल आई स्ट्रेन क्या है, इसके कारण और इससे बचने के उपाय क्या हैं। अपनी आंखों की सेहत को बनाए रखने के लिए सरल और प्रभावी तरीके जानें।
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डिजिटल आई स्ट्रेन: स्क्रीन के लंबे उपयोग से आंखों की सुरक्षा कैसे करें

डिजिटल युग में आंखों की सेहत

आजकल, लैपटॉप, स्मार्टफोन और टैबलेट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। इस कारण, अधिकांश लोग इन उपकरणों पर अधिक समय बिता रहे हैं। पहले, बच्चे आउटडोर खेलों में अधिक रुचि रखते थे, लेकिन अब मनोरंजन और कार्य दोनों ही स्क्रीन पर केंद्रित हो गए हैं। हालांकि, इस सुविधा का एक नकारात्मक पहलू भी है। लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से आंखों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिसे मेडिकल भाषा में डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है।


डिजिटल आई स्ट्रेन की गंभीरता

यह केवल आंखों की थकान नहीं है, बल्कि यह एक तेजी से बढ़ती समस्या है। इससे आंखों में जलन, धुंधलापन, सूखापन और लगातार सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि इस डिजिटल युग में अपनी आंखों की सेहत का कैसे ध्यान रखा जा सकता है।


डिजिटल आई स्ट्रेन क्या है?

डिजिटल आई स्ट्रेन एक ऐसी स्थिति है, जो लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन जैसे फोन, टीवी और कंप्यूटर के उपयोग से उत्पन्न होती है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी, अनुचित दूरी, कम पलक झपकना और खराब रोशनी आई स्ट्रेन के मुख्य कारण हैं।


एक अध्ययन के अनुसार, 50-90% लोग जो प्रतिदिन 2-3 घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं, इस समस्या से प्रभावित होते हैं। आई स्ट्रेन के लक्षणों में सूखापन, आंखों में दर्द, धुंधला दिखना, थकान और सिरदर्द शामिल हैं।


डिजिटल आई स्ट्रेन के कारण

लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने से आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। कम पलक झपकने के कारण आंखें सूखी रहती हैं, जिससे जलन और असहजता होती है। गलत बैठने की मुद्रा, खराब रोशनी और स्क्रीन की गलत दूरी भी आई स्ट्रेन को बढ़ाते हैं।


आई स्ट्रेन से बचने के उपाय

इस समस्या से बचने के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से हटकर 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।


स्क्रीन देखते समय लोग आमतौर पर कम पलक झपकाते हैं, इसलिए सचेत रूप से बार-बार पलकों को झपकाना चाहिए।


स्क्रीन की ब्राइटनेस को कम करें और नीली रोशनी को कम करने वाला फिल्टर लगाएं या चश्मा पहनें।


आंखों से 20-24 इंच की दूरी पर स्क्रीन रखें और आंखों के स्तर से 10-15 डिग्री नीचे रखें।