डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि: प्रेरणादायक किस्से और उनकी सादगी

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि: भारत के पूर्व राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर उन्हें याद किया। इस अवसर पर उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने, लेकिन प्रेरणादायक किस्से फिर से चर्चा में आए हैं।
सूत्रों के अनुसार, डॉ. कलाम को 1998 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उस समारोह में वह असहज महसूस कर रहे थे, क्योंकि उन्हें औपचारिक वस्त्र पसंद नहीं थे। उन्हें चमड़े के जूते और टाई से नफरत थी। राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने सूट के गले को कटवाया ताकि वह आरामदायक महसूस कर सकें, जिसे बाद में 'कलाम सूट' कहा गया।
On his death anniversary, paying homage to our beloved former President, Dr. APJ Abdul Kalam. He is remembered as an inspiring visionary, outstanding scientist, mentor and a great patriot. His dedication to our nation was exemplary. His thoughts motivate the youth of India to…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 27, 2025
डॉ. कलाम की सादगी
डॉ. कलाम की सादगी का सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन में ठहरने वाले अपने परिवार के 52 सदस्यों का पूरा खर्च अपनी जेब से उठाया। यहां तक कि अजमेर शरीफ की यात्रा के लिए बस का किराया और हर कप चाय का हिसाब भी रखा। उन्होंने इफ्तार भोज के पैसे को अनाथालयों को दान कर दिया और खुद एक लाख रुपये का गुप्त दान भी दिया।
गीता और कुरान का अध्ययन
गीता व कुरान दोनों को किया आत्मसात वह सुबह की नमाज कभी नहीं छोड़ते थे और गीता व कुरान दोनों पढ़ते थे। स्वामी विवेकानंद और थिरुवल्लुवर के विचारों को भी आत्मसात करते थे। उन्होंने सत्य साईं बाबा से मुलाकात की, जिससे कुछ वामपंथी असहमत थे लेकिन उनका मानना था कि आस्था और वैज्ञानिक सोच में विरोध नहीं, संतुलन हो सकता है।
मोर की सर्जरी
मोर की करवाई सर्जरी एक बार राष्ट्रपति भवन में एक मोर के बीमार होने पर कलाम ने उसकी सर्जरी करवाई और उसे पूरी तरह स्वस्थ होने तक ICU में रखने का निर्देश दिया। वहीं, उन्होंने तंजानिया के 24 बच्चों की मुफ्त हार्ट सर्जरी भारत में करवाई, जिसकी पूरी व्यवस्था उन्होंने निजी संपर्कों से करवाई थी।
निष्पक्षता का उदाहरण
डॉ. कलाम की निष्पक्षता तब भी दिखी जब उन्होंने फील्डमार्शल सैम मानेक शॉ के बकाया भत्तों की जानकारी मिलने पर खुद पहल कर उन्हें दिलवाया। आज जब देश उन्हें याद कर रहा है, तो यह स्पष्ट है कि कलाम न केवल एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति थे, बल्कि एक ऐसे मानव थे जिनकी सोच, सादगी और सेवा का भाव पीढ़ियों तक प्रेरणा देता रहेगा।