डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात: यूक्रेन युद्ध पर चर्चा

डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा दावा
डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा दावा: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज अलास्का में मिलने वाले हैं। भारतीय समयानुसार रात एक बजे दोनों नेताओं के बीच शिखर वार्ता होगी, जिसके लिए दोनों पक्षों का डेलीगेशन तैयार है। रूसी राष्ट्रपति के डेलिगेशन में विदेश मंत्री लावरोव, उशाकोव, बेलोउसॉव, सिलुआनोव और किरिल दिमित्रिएव शामिल हैं, जबकि ट्रंप के डेलिगेशन में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, मार्को रुबियो, स्कॉट बेसेंट और स्टीव विटकॉफ शामिल होंगे।
ट्रंप के दावे और बैठक के उद्देश्य
ट्रंप और पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध, सीजफायर और अमेरिका-रूस के व्यापारिक रिश्तों पर चर्चा होगी। व्हाइट हाउस ने ट्रंप के दो बड़े दावों का उल्लेख किया है। पहला, अमेरिकी डेलिगेशन को पहले 5 मिनट में ही पता चल जाएगा कि बैठक का परिणाम क्या होगा। दूसरा, ट्रंप ने कहा कि यदि वे राष्ट्रपति नहीं होते, तो रूस ने 2022 से अब तक पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लिया होता।
बैठक के संभावित परिणाम
व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप को पहले 3 से 5 मिनट में ही यह समझ में आ जाएगा कि बैठक का अंत सकारात्मक होगा या नकारात्मक। यदि बैठक सफल रही, तो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित हो सकती है। ट्रंप का कहना है कि यदि वे राष्ट्रपति नहीं होते, तो पुतिन यूक्रेन पर आक्रमण कर चुके होते।
मुलाकात का स्थान और समय
यह महत्वपूर्ण बैठक 15 अगस्त 2025 को अलास्का के एंकोरेज में अमेरिकी आर्मी के जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में होगी। यह दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात है, जो 2021 के बाद हो रही है। पुतिन 10 साल बाद अमेरिका की यात्रा पर आ रहे हैं।
यूक्रेन की स्थिति
ट्रंप ने कहा कि पुतिन यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि मुलाकात विफल होने की 25% संभावना है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। रूस चाहता है कि यूक्रेन अपनी सेना खेरसॉन, लुगांस्क, जापोरिज्जिया और डोनेत्स्क से हटाए और नाटो में शामिल होने की इच्छा छोड़ दे।
यूक्रेन की मांगें
यूक्रेन की मांगें बिना शर्त युद्धविराम, युद्धबंदियों की रिहाई और रूस द्वारा अगवा किए गए बच्चों की वापसी हैं। भारत इस बैठक पर ध्यान दे रहा है, क्योंकि रूस से तेल आयात के कारण अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। यदि यह बैठक सफल नहीं होती है, तो टैरिफ और बढ़ सकता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यूरोपीय नेता भी चिंतित हैं, क्योंकि फ्रांस और ब्रिटेन ने कहा है कि यूक्रेन के बिना कोई शांति संभव नहीं है।