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तनाव और चिंता: शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव और समाधान

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में तनाव और चिंता एक आम समस्या बन गई है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि शरीर के हार्मोनल संतुलन को भी बिगाड़ता है। अनिद्रा, भूख में कमी और थकान जैसे लक्षण तनाव के परिणाम हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे तनाव से निपटने के लिए सकारात्मक सोच और योग का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है।
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तनाव और चिंता: शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव और समाधान

तनाव का बढ़ता प्रभाव

नई दिल्ली: आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी में, लोगों के लिए खुद के लिए समय निकालना एक चुनौती बन गया है। काम का बोझ, रिश्तों का दबाव, और भविष्य की चिंताएं इस कदर बढ़ गई हैं कि लोग तनाव में घिरते जा रहे हैं। यह तनाव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे अनिद्रा, भूख में कमी और बेचैनी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों मानते हैं कि जब मन अशांत होता है, तो शरीर भी बीमारियों का शिकार बन जाता है।


हार्मोनल असंतुलन का कारण

वैज्ञानिकों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अधिक सोचता है या लंबे समय तक तनाव में रहता है, तो उसके शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन शरीर को संकट का सामना करने के लिए तैयार करता है, लेकिन जब इसका स्तर लगातार ऊँचा रहता है, तो यह अन्य महत्वपूर्ण हार्मोनों का संतुलन बिगाड़ देता है। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन और थायरॉइड जैसे हार्मोन प्रभावित होते हैं, जिससे वजन बढ़ने लगता है, खासकर पेट के आसपास की चर्बी।


नींद और मानसिक स्वास्थ्य

तनाव के कारण नींद में भी बाधा आती है। रात में बार-बार जागना या देर तक जागना आम हो जाता है। आयुर्वेद भी मानता है कि मानसिक अशांति से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पाचन और नींद पर असर पड़ता है।


तनाव के लक्षण

तनाव के कारण थकान और ऊर्जा की कमी भी महसूस होती है। जब दिमाग उलझनों में होता है, तो शरीर आराम कर रहा हो, लेकिन मन थका हुआ महसूस करता है। इससे सुबह उठने में कठिनाई होती है और दिनभर सुस्ती बनी रहती है। दिमाग की कार्यक्षमता भी धीमी हो जाती है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। आयुर्वेद में इसे मनोविकार कहा जाता है।


तनाव से निपटने के उपाय

तनाव से उबरने के लिए सबसे पहले खुद को समझना आवश्यक है। हमें यह समझना होगा कि हर बात पर सोचते रहना समाधान नहीं है। सकारात्मक सोच को अपनाना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, जब मन स्थिर होता है, तो शरीर भी स्वस्थ रहता है। नियमित योग और प्राणायाम जैसे सूर्य नमस्कार, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम अभ्यास दिमाग को शांत करने में मदद करते हैं। विज्ञान भी मानता है कि ध्यान से कोर्टिसोल का स्तर कम होता है और मानसिक शांति मिलती है।