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तनाव का पाचन और मासिक धर्म पर प्रभाव: जानें कैसे करें प्रबंधन

तनाव केवल मानसिक समस्या नहीं है, बल्कि यह शरीर के विभिन्न पहलुओं को भी प्रभावित करता है। न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह के अनुसार, लंबे समय तक तनाव में रहने से पाचन तंत्र और हार्मोनल संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे गैस, ब्लोटिंग, और अनियमित मासिक धर्म जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि तनाव का पाचन और मासिक धर्म पर क्या प्रभाव पड़ता है और इसे कैसे प्रबंधित किया जा सकता है।
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तनाव का पाचन और मासिक धर्म पर प्रभाव: जानें कैसे करें प्रबंधन

तनाव और स्वास्थ्य: एक गहरा संबंध

व्यस्त जीवनशैली में, लोग अक्सर तनाव को केवल मानसिक समस्या मान लेते हैं। लेकिन यह सच नहीं है; तनाव का असर शरीर पर भी पड़ता है। न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह के अनुसार, जब महिलाएं लंबे समय तक तनाव में रहती हैं, तो इसका पहला प्रभाव पाचन तंत्र और हार्मोनल संतुलन पर पड़ता है। इससे ब्लोटिंग, एसिडिटी, गैस, अनियमित मासिक धर्म, और दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। तनाव का प्रभाव केवल मानसिक नहीं होता, बल्कि यह पेट और मासिक चक्र पर भी गहरा असर डालता है। जब शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो यह पाचन तंत्र और हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है।


आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार, तनाव को वात दोष के बढ़ने से जोड़ा जाता है, जो भागदौड़, ओवरथिंकिंग और अनियमित दिनचर्या के कारण होता है। यदि तनाव का प्रबंधन नहीं किया जाता है, तो गट और मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं बार-बार लौटती हैं।


तनाव का पाचन और मासिक धर्म पर प्रभाव

पाचन पर असर: तनाव के कारण पेट की आग कमजोर हो जाती है, जिससे गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी होती है।


हार्मोनल असंतुलन: उच्च कॉर्टिसोल के कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पीरियड्स में अनियमितता आ सकती है।


पीरियड क्रैम्प्स और दर्द: तनाव मांसपेशियों को सख्त करता है, जिससे पीरियड्स के दौरान दर्द और ऐंठन बढ़ जाती है।


हीलिंग की शुरुआत कैसे करें

- दिन की शुरुआत को थोड़ा धीमा करें।


- गरम, हल्का और ताजा भोजन करें।


- ठंडा, प्रोसेस्ड और जंक फूड कम करें।


- रात को पर्याप्त और गहरी नींद लें।


- खाने से पहले 5-10 मिनट शांत बैठें या गहरी सांस लें।