तुंगनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर उठी चिंताएं, सीएम से की गई अपील

तुंगनाथ मंदिर पर खतरे के संकेत
विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर, तुंगनाथ मंदिर, के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है। हाल के दिनों में मंदिर की चट्टानों में दरारें दिखाई देने लगी हैं। बारिश के दौरान गर्भगृह में पानी रिसने की समस्या उत्पन्न हो रही है। इस स्थिति को देखते हुए, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मंदिर के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है।
अनुसंधान और सुरक्षा उपाय
कई एजेंसियों द्वारा अध्ययन
मंदिर की सुरक्षा के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GST), और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) ने विस्तृत अध्ययन किया है। धर्मस्व और संस्कृति विभाग ने CBRI से सभी कार्यों के लिए डिजाइन और निर्माण कार्य कराने का अनुरोध किया है। वर्तमान में, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा।
संरक्षण की मांग
क्या है मांग?
तुंगनाथ मंदिर, जो कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अधीन है, कई वर्षों से भू-धसांव की समस्या का सामना कर रहा है। इससे मंदिर की चट्टानों में गैप उत्पन्न हो रहा है। पहले भी तुंगनाथ मंदिर और उसके परिसर के जीर्णोद्वार और मरम्मत के लिए व्यापक योजनाएं बनाई गई थीं। अब मांग की गई है कि प्राचीन तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए मरम्मत कार्य किया जाए और आवश्यकतानुसार निर्माण कार्य भी किया जाए।
तुंगनाथ मंदिर का महत्व
क्या है मंदिर की महत्वता?
तुंगनाथ धाम, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। इसे पंच केदारों में तीसरे केदार के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मंदिर ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह स्थान युवाओं के बीच भी लोकप्रिय हो गया है। तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर (12073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और चोपता से 3.5 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद पहुंचा जा सकता है, जो इसे ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाता है। चंद्रशिला चोटी से हिमालयी चोटियों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। इस मंदिर का संबंध महाभारत के पांडवों से भी जोड़ा जाता है।