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तुलसी: माइग्रेन के लिए एक प्राकृतिक उपचार

तुलसी, जिसे प्राचीन काल से पूजा जाता रहा है, न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि इसके औषधीय गुण भी अद्वितीय हैं। यह पौधा रात में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है और आयुर्वेद में इसके हर भाग को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए तुलसी की पत्तियां एक प्राकृतिक उपचार के रूप में काम कर सकती हैं। जानें कैसे यह समस्या से राहत दिला सकती है और इसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में।
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तुलसी: माइग्रेन के लिए एक प्राकृतिक उपचार

तुलसी के औषधीय गुण

हेल्थ कार्नर: प्राचीन समय से तुलसी का महत्व धार्मिक और औषधीय दोनों दृष्टिकोण से रहा है। कई प्राचीन ग्रंथों में इसके स्वास्थ्य लाभों का उल्लेख किया गया है, जिससे यह कई बीमारियों के उपचार में सहायक साबित होता है। हिंदू परिवारों में तुलसी का पौधा आमतौर पर पाया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, तुलसी रात के समय ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है, जो अन्य पौधों की तुलना में इसे विशेष बनाता है। आयुर्वेद में इसके हर भाग को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है।



यदि आपको सिर में बार-बार हल्का या तेज दर्द होता है, तो यह माइग्रेन का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में सिर में असहनीय दर्द होता है, और मस्तिष्क के एक हिस्से में कंपन का अनुभव होता है। यह दर्द आमतौर पर सिर के एक तरफ होता है, लेकिन कभी-कभी दोनों तरफ भी महसूस हो सकता है।


दुनिया भर में लगभग हर सात में से एक व्यक्ति माइग्रेन से प्रभावित है। भारत में, यह संख्या 15 करोड़ से अधिक है। अनुमान के अनुसार, 18 से 49 वर्ष की आयु की 25 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं, और महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक माइग्रेन होने की संभावना होती है।