थायरॉइड कैंसर: कारण, लक्षण और उपचार के तरीके

थायरॉइड कैंसर के कारण
थायरॉइड कैंसर के बारे में: कैंसर के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें थायरॉइड कैंसर भी शामिल है, जो विशेष रूप से महिलाओं में आम है। भारत में कैंसर के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और थायरॉइड कैंसर शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के बीच सबसे तेजी से फैलने वाला कैंसर बन गया है। महिलाओं में इस कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक होता है, खासकर 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच। आइए जानते हैं इस विषय पर विशेषज्ञ की राय।
किसे थायरॉइड कैंसर का खतरा है?
धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के प्रमुख और नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अंबेश सिंह के अनुसार, थायरॉइड कैंसर का खतरा अधिक उम्र की महिलाओं में होता है, विशेषकर 30 से 50 वर्ष की आयु वर्ग में। यदि परिवार में किसी को थायरॉइड कैंसर हुआ है, तो अन्य सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, जिन महिलाओं को पहले से थायरॉइड से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे गॉयटर या हाइपोथायरायडिज्म, उन्हें भी कैंसर होने की संभावना होती है। बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में भी यह खतरा बढ़ जाता है।
थायरॉइड कैंसर के कारण
डॉ. अंबेश ने बताया कि महिलाओं में थायरॉइड कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ प्रमुख कारण हैं:
हार्मोनल असंतुलन: हार्मोनल असंतुलन, विशेषकर एस्ट्रोजन, थायरॉइड सेल्स की वृद्धि को बढ़ावा देता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हार्मोनल परिवर्तन भी इस जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
पर्यावरणीय कारक: फैक्ट्री के कचरे और भारी धातुएं थायरॉइड ग्रंथियों के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं। मेडिकल इमेजिंग से होने वाला रेडिएशन, विशेषकर बचपन में, कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
अनहेल्दी जीवनशैली: पोषण की कमी, जैसे आयोडीन की कमी या अधिकता, थायरॉइड रोगों का कारण बन सकती है।
तनाव: लगातार तनाव हार्मोनल असंतुलन और इम्यूनिटी को प्रभावित करता है, जो कैंसर जैसी स्थितियों को बढ़ावा देता है।
थायरॉइड कैंसर के लक्षण
- गर्दन में गांठ या सूजन।
- आवाज में बदलाव।
- खाना निगलने में कठिनाई।
- खांसी जो सामान्य सर्दी से संबंधित नहीं है।
- गर्दन या गले में दर्द।
- गर्दन में सूजी हुई लिम्फ नोड्स।
कैंसर की पहचान कैसे करें?
1. फिजिकल चेकअप: डॉक्टर गर्दन की गांठों और सूजी हुई लसीका ग्रंथियों की जांच करते हैं।
2. ब्लड टेस्ट: थायराइड फंक्शन टेस्ट (TSH, T3, T4)।
3. अल्ट्रासाउंड: नोड्यूल की पहचान के लिए थायरॉइड की इमेजिंग।
4. फाइन-नीडल एस्पिरेशन (FNA): संदिग्ध नोड्यूल से कोशिकाओं को निकालकर माइक्रोस्कोपिक जांच।
5. अतिरिक्त इमेजिंग: यदि कैंसर की पुष्टि हो जाए तो फैलाव जानने के लिए सीटी या MRI स्कैन।
उपचार के तरीके
सर्जरी सबसे सामान्य उपचार है, जिसमें थायराइड ग्रंथि का हिस्सा या पूरी ग्रंथि हटाई जाती है (थायराइडेक्टॉमी)। भारत के प्रमुख अस्पतालों में अब न्यूनतम इनवेसिव तकनीकें उपलब्ध हैं।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी: सर्जरी के बाद बचे हुए थायरॉइड टिश्यू और कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए।
- हार्मोन थेरेपी: थायराइडेक्टॉमी के बाद जीवनभर थायरॉइड हार्मोन रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है।
- टार्गेटेड थेरेपी: गंभीर मामलों के लिए, विशिष्ट कैंसर पाथवे को लक्षित करने वाली नई दवाएं।
- एक्सटर्नल रेडिएशन थेरेपी: कभी-कभी गंभीर कैंसर के मामलों में उपयोग किया जाता है।
थायरॉइड कैंसर की रोकथाम
- आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
- हानिकारक मेडिकल जांचों को कम करवाएं।
- गर्दन की नियमित जांच करें।
- गर्दन में लक्षणों को समझकर विशेषज्ञ से सलाह लें।
- तनाव कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।