दिल्ली उच्च न्यायालय का DPS द्वारका फीस विवाद पर निर्णय

DPS द्वारका फीस विवाद का आदेश
DPS Dwarka फीस विवाद: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका के साथ फीस विवाद में शामिल 100 से अधिक अभिभावकों को निर्देश दिया है कि वे शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए बढ़ी हुई फीस का 50% भुगतान करें, साथ ही पूर्ण आधार शुल्क का भुगतान जारी रखें. न्यायमूर्ति विकास महाजन ने 16 मई को जारी आदेश में स्पष्ट किया कि 50 प्रतिशत की छूट फीस के बढ़े हुए हिस्से पर है और आधार शुल्क पूरा भुगतान किया जाना चाहिए.
अभिभावकों की याचिका
अदालत ने 102 अभिभावकों की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें स्कूल में चल रही फीस वृद्धि के मुद्दे के बीच अपने बच्चों की सुरक्षा की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि स्कूल को सरकार और राजधानी के उपराज्यपाल द्वारा अपने नियंत्रण में लिया जाना चाहिए.
आरोपों का विवरण
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूल ने अभिभावकों से अस्वीकृत फीस वसूलने के लिए दबाव डाला है और बलपूर्वक तरीके अपनाए हैं. अभिभावकों ने कहा कि स्कूल ने बाउंसरों को रखकर अस्वस्थ और अमानवीय व्यवहार का सहारा लिया है, जबकि उन्हें लगता है कि बाउंसर शिक्षकों की तुलना में बच्चों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.
अदालत का निर्णय
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत उसे संतुष्ट नहीं करती है. अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की शिक्षा निदेशालय ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 से आगे के लिए स्कूल द्वारा फीस निर्धारण को अस्वीकार कर दिया है.
फीस वृद्धि की स्थिति
अदालत ने कहा कि जब तक शिक्षा निदेशालय स्कूल के वित्तीय विवरणों की समीक्षा नहीं करता और अपने निष्कर्षों के आधार पर फीस वृद्धि के विवरण को खारिज नहीं करता, तब तक फीस में वृद्धि पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
दिल्ली सरकार का जवाब
अदालत ने मुख्य याचिका पर स्कूल, उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी. अभिभावकों के वकील ने कहा कि स्कूल ने फीस में 7,000 रुपये प्रति माह की वृद्धि की थी और अब इसमें 9,000 रुपये मासिक की वृद्धि कर दी है.