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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीरता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें स्कूलों के बंद होने के निर्णय को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि गरीब बच्चों को घर पर बैठाना सुरक्षित नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने मिड-डे मील योजना को जारी रखने की बात कही, जिससे बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जा सके। सुनवाई में मजदूरों की आर्थिक सहायता और ट्रैफिक जाम के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण की गंभीरता पर चर्चा

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत सुनवाई हुई। इस संदर्भ में, सरकार द्वारा कक्षा 5 तक के स्कूलों को बंद करने के निर्णय को चुनौती दी गई है।


याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों से हैं, जिनके पास न तो स्वच्छ वातावरण है और न ही एयर प्यूरीफायर जैसी सुविधाएं। स्कूलों के बंद होने से बच्चों को मिड-डे मील भी नहीं मिल रहा, जिससे उनकी सेहत और पोषण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।


वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अदालत में कहा कि केवल स्कूलों को बंद करना समस्या का समाधान नहीं है। गरीब बच्चों को घर पर बैठाकर उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?


इस पर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने कहा कि यदि मिड-डे मील योजना जारी रहती है, तो बच्चे स्कूल आने लगेंगे, जिससे उनका प्रदूषण के संपर्क में आना तय है।


सुप्रीम कोर्ट ने नर्सरी से कक्षा 5 तक के स्कूलों को बंद करने के आदेश पर दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।


सीजेआई ने कहा कि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह एक अस्थायी व्यवस्था है और यह सरकार का नीतिगत निर्णय है।


एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि रविवार से हालात बेहद गंभीर हैं और बच्चों की जान खतरे में है। इसी कारण सड़कों पर प्रतिबंध और खाली करवाने जैसे कदम उठाए गए हैं।


सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि छुट्टियों के बाद प्रदूषण का स्तर कुछ कम होने की उम्मीद है।


सुनवाई के दौरान यह भी सुझाव दिया गया कि स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाया जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। वहीं, निर्माण पर रोक से प्रभावित मजदूरों की आर्थिक सहायता पर एएसजी ने बताया कि 2.5 लाख मजदूरों में से 7,000 को योग्य पाया गया है।


सीजेआई ने निर्देश दिया कि भुगतान सीधे मजदूरों के खातों में किया जाए और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।


दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर एमसीडी टोल के कारण लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम और उससे बढ़ते प्रदूषण पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। सीजेआई ने कहा कि 31 जनवरी तक टोल वसूली रोकने पर विचार किया जाना चाहिए।


दिल्ली की सीमाओं पर टोल के कारण लगने वाले जाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने एनएचएआई से यह संभावना पर विचार करने को कहा है कि दिल्ली में एमसीडी के 9 टोल बूथों को ऐसे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए, जिन्हें एनएचएआई संचालित कर सके।