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दिल्ली में किरायेदारों के लिए हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: बिजली मीटर लोड में बदलाव

दिल्ली में किरायेदारों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय आया है, जिसमें हाईकोर्ट ने बिजली मीटर के लोड को कम करने की अनुमति दी है। अब किरायेदार बिना मकान मालिक की अनुमति के खुद इस प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो दिल्ली में किराए पर रहकर काम कर रहे हैं। जानें इस फैसले का विस्तृत विवरण और इसके पीछे की कहानी।
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दिल्ली में किरायेदारों के लिए हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: बिजली मीटर लोड में बदलाव

दिल्ली में किरायेदारों के लिए नई राहत

दिल्ली में रहने वाले किरायेदारों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार आया है। अक्सर किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच बिजली बिल को लेकर विवाद होते हैं। हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई किरायेदार बिजली मीटर का लोड कम करना चाहता है, तो उसे मकान मालिक से अनापत्ति पत्र (NOC) लेने की आवश्यकता नहीं है। किरायेदार स्वयं इस प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकता है।


व्यापार और उद्योग को मिलेगा लाभ

दिल्ली में लाखों लोग काम की तलाश में आते हैं और किराए पर रहते हैं। चांदनी चौक, कनॉट प्लेस, सदर बाजार, सरोजिनी नगर, और लाजपत नगर जैसे प्रमुख बाजारों के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्रों जैसे बादली, बवाना, ओखला, नारायणा, वज़ीरपुर और कंझावला में भी किराए पर घर, दुकानें और फैक्ट्रियां हैं। इस कोर्ट के आदेश का सीधा लाभ इन सभी किरायेदारों को होगा।


मकान मालिक के लाभ पर कोई असर नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि बिजली का असली उपभोक्ता किरायेदार है, और उसे मीटर में बदलाव करने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिजली मीटर का लोड कम करने से मकान मालिक के लाभ पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अक्सर किरायेदारों को कम खपत के बावजूद अधिक बिल चुकाने पड़ते हैं।


बिजली कंपनी को दिया गया समय

हाईकोर्ट ने बिजली कंपनी बीएसईएस को एक महीने का समय दिया है। आदेश दिया गया है कि किरायेदार के बिजली मीटर का लोड 16 केवीए से घटाकर उसकी वास्तविक आवश्यकता के अनुसार किया जाए।


विवाद की शुरुआत

बिजली मीटर के लोड को कम करने का विवाद दिल्ली के अंसल टॉवर से शुरू हुआ। एक किरायेदार जो कई वर्षों से वहां रह रहा था, ने बताया कि फ्लैट का किराया बहुत अधिक है। फ्लैट की मालिक की मृत्यु के बाद, वसीयत के अनुसार फ्लैट का ट्रांसफर उसकी बड़ी बहु के नाम होना था, लेकिन भाईयों के बीच भूमि विवाद के कारण यह ट्रांसफर नहीं हो सका। किरायेदार ने कहा कि वह बिजली की कम खपत करता है, लेकिन 15 साल पुराना मीटर अभी भी पहले जैसा है, जिससे उसका बिल अधिक आता है।