दिल्ली में दीपावली के बाद वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट

दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में
दीपावली के त्योहार के बाद, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता एक बार फिर 'बेहद खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है। आतिशबाजी और मौसमी कारकों के चलते, दिल्ली के कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयूआई) 400 के स्तर को पार कर गया है, जिससे लोगों के लिए सांस लेना भी कठिन हो गया है।
दीपावली पर पटाखों का प्रभाव
सोमवार की रात दीपावली के अवसर पर बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के बाद, मंगलवार सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के आंकड़े को पार कर गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है।
खतरनाक स्तर पर एयर क्वालिटी
दिल्ली के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि दीपावली की रात में पूरे एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। रात करीब 11:00 बजे, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 596 तक पहुंच गया। वहीं, मंगलवार सुबह यह 400 के पार चला गया।
प्रदूषण के आंकड़े
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दीपावली की रात हुई भारी आतिशबाजी के कारण दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है।
मौसम की स्थिति
दिल्ली एनसीआर में मंगलवार को प्रदूषण में कोई राहत नहीं मिलेगी। यहां का तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। मंगलवार सुबह हल्का कोहरा भी देखा गया, लेकिन दोपहर में मौसम शुष्क होने और हल्की धूप निकलने का पूर्वानुमान है।
भविष्यवाणी और उपाय
मौसम विभाग (आईएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्वानुमानों के अनुसार, अगले दो दिनों में हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है। स्थिर हवाएं, तापमान में गिरावट और स्थानीय प्रदूषण इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
स्थिति को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के दूसरे चरण को तुरंत लागू कर दिया है। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सख्त निगरानी और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
आईएमडी ने स्पष्ट किया है कि स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित समीक्षा बैठकें होंगी। पराली जलाना और वाहनों से निकलने वाला धुआं इस प्रदूषण संकट को और गहरा कर रहे हैं, जिससे सर्दियों में स्मॉग की समस्या से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।