दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति: गंभीर एक्यूआई और सरकार की चुनौतियाँ
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है, सरकार की योजनाएँ प्रभावी नहीं हो रही हैं, और एक्यूआई लगातार गंभीर स्तर पर बना हुआ है।
दिल्ली प्रदूषण अपडेट: सर्दियों के आगमन के साथ, दिल्ली में प्रदूषण की समस्या और भी बढ़ गई है। वायुमंडल में जहरीली गैसों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुँच चुकी है। राजधानी के अधिकांश क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। सोमवार को हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई, और आसमान में धुंध और स्मॉग का दृश्य भी देखा गया।
इस स्थिति के कारण दृश्यता प्रभावित हुई है। लोग मास्क पहनकर बाहर निकलने को मजबूर हैं, और सांस के मरीजों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एक्यूआई 351 दर्ज किया गया, जो कि बेहद खराब श्रेणी में आता है। यह शनिवार की तुलना में 26 अंक की गिरावट दर्शाता है। एनसीआर में गाजियाबाद की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही, जहाँ एक्यूआई 401 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है.
वायु प्रदूषण के कारण
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, वाहनों से होने वाला प्रदूषण 18.76 प्रतिशत है, जबकि पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण 8.29 प्रतिशत है। इस वर्ष 1,576 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का अनुमान है कि बुधवार तक हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी रहेगी। सोमवार को हवा उत्तर दिशा से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बह रही थी, और अधिकतम मिश्रण गहराई 1200 मीटर रही। वेंटिलेशन इंडेक्स 4500 मीटर प्रति वर्ग सेकंड था.
दिल्ली सरकार की कार्रवाई
दिल्ली सरकार की बैठक के बाद, एमसीडी आयुक्त ने जोनल उपायुक्तों के साथ आपात बैठक की और निर्देश जारी किए। हालांकि, सरकार इस पर भरोसा नहीं कर रही है। एमसीडी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अब कार्य की जिम्मेदारी और उसकी निगरानी सरकार के हाथ में रहेगी।
जैसे-जैसे हवा की गुणवत्ता बिगड़ रही है, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता दिल्ली सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई बरत रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री का प्रदूषण नियंत्रण का मोर्चा खुद संभालना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय माना जा रहा है.
