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दिल्ली में वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय और घरेलू नुस्खे

दिल्ली में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता फिर से 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। इस लेख में, हम जानेंगे कि कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, खुद को कैसे सुरक्षित रखें, और कौन से घरेलू उपाय फायदेमंद हो सकते हैं। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है।
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दिल्ली में वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय और घरेलू नुस्खे

दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति

दिवाली के बाद, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) फिर से "बहुत खराब" श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे शहर में सांस से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। वर्तमान में, PM2.5 और PM10 के स्तर चिंताजनक हैं। खराब वायु गुणवत्ता फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जिक राइनाइटिस और गले के संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। विशेष रूप से, फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए यह प्रदूषण अत्यधिक हानिकारक हो सकता है।


डॉक्टर से कब संपर्क करें

- यदि खांसी या घरघराहट कुछ दिनों से लगातार बनी हुई है।


- सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही हो, यहां तक कि आराम करते समय भी।


- गले में जलन, खराश, नाक बहना या आंखों में जलन जो ठीक नहीं हो रही हो।


- अस्थमा या सीओपीडी जैसी पूर्ववर्ती फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।


स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय

- जब बाहर प्रदूषण अधिक हो, तो घर के अंदर ही रहें।


- बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें।


- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें।


- साइकिल चलाने या जॉगिंग जैसी बाहरी गतिविधियों से बचें; इसके बजाय इनडोर वर्कआउट करें।


- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।


- फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए हल्दी और तुलसी जैसे एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें और अपने आहार में खट्टे फल शामिल करें।


किसे सबसे अधिक खतरा है

- बच्चे और बुजुर्ग: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण इनमें संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।


- अस्थमा और सीओपीडी के मरीज: प्रदूषित हवा उनके लक्षणों को बढ़ा सकती है।


- गर्भवती महिलाएं: प्रदूषण का लगातार संपर्क मानसिक स्वास्थ्य और भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।


- हृदय रोग या डायबिटीज से ग्रसित लोग: खराब वायु गुणवत्ता हृदय और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकती है।


घरेलू उपाय

- स्टीम लें: यह नाक के रास्ते को साफ करने और गले की जलन को कम करने में मदद करता है।


- गर्म नमक के पानी से गरारे करें: यह गले की खराश को कम करता है और कीटाणुओं को खत्म करता है।


- अदरक या तुलसी की चाय में शहद मिलाकर पिएं: यह बंद नाक और खांसी से राहत दिलाने में सहायक है।


- अपने घर को साफ रखें: नियमित रूप से एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और धूल को साफ करें।