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दिल्ली यूनिवर्सिटी में पाठ्यक्रम में बदलाव: विवाद और नई दिशा

दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से कई महत्वपूर्ण विषयों को हटाने का निर्णय लिया है, जिससे छात्रों और शिक्षकों के बीच बहस छिड़ गई है। इस बदलाव के पीछे विश्वविद्यालय का तर्क है कि यह नए और उपेक्षित क्षेत्रों को शामिल करने की दिशा में है। हालांकि, कई शिक्षकों का मानना है कि यह अकादमिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ने कौशल आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है, जैसे रेडियो जॉकी। क्या ये बदलाव छात्रों के भविष्य के लिए फायदेमंद होंगे? जानें पूरी कहानी में।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी में पाठ्यक्रम में बदलाव: विवाद और नई दिशा

भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर पाठ्यक्रम में संशोधन

भारत-पाकिस्तान संघर्ष: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के राजनीति विज्ञान विभाग ने अपने स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रम से कुछ महत्वपूर्ण विषयों को हटा दिया है, जिन पर लंबे समय से अध्ययन किया जा रहा था। इनमें 'पाकिस्तान और विश्व', 'चीन की समकालीन भूमिका', 'इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध', और 'राजनीतिक हिंसा' जैसे विषय शामिल हैं। विश्वविद्यालय की प्रमुख शैक्षणिक संस्था ने इस बदलाव को शनिवार को मंजूरी दी है।


छात्रों और शिक्षकों के बीच बहस

यह निर्णय पहली बार जून में प्रस्तावित किया गया था, जिसके बाद से छात्रों और शिक्षकों के बीच इस पर चर्चा चल रही थी। अब जब ये परिवर्तन आधिकारिक हो गए हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह अकादमिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है या पाठ्यक्रम का तार्किक सुधार?


क्या हटाए गए विषय राजनीतिक हैं?

छात्रों और कई शिक्षकों का मानना है कि हटाए गए विषय वैश्विक परिप्रेक्ष्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे थे, जिन पर शोध आवश्यक है। 'धार्मिक राष्ट्रवाद' और 'राज्य और समाज' जैसे अध्याय भारत और विश्व की राजनीति को समझने में सहायक होते हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय का कहना है कि नया पाठ्यक्रम 'सिख शहादत और सामाजिक-धार्मिक इतिहास' जैसे उपेक्षित क्षेत्रों को शामिल करने की दिशा में एक कदम है।


पीजी और यूजी छात्रों के लिए नया शोध प्रारूप

चौथे वर्ष के छात्रों के लिए शोध, प्रोजेक्ट और स्टार्टअप आधारित कार्यों की निगरानी के लिए नए नियम बनाए गए हैं। प्रत्येक छात्र को एक गाइड (शोध सलाहकार) मिलेगा, जो अधिकतम 10 छात्रों की देखरेख कर सकेगा। हालांकि, कुछ शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताई है कि 10 छात्रों का बोझ बहुत अधिक है और एक शिक्षक को केवल 3-4 छात्रों तक सीमित रखना चाहिए।


SWAYAM और MOOCs पर विवाद

दिल्ली विश्वविद्यालय अब SWAYAM प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में शामिल होने की अनुमति देने जा रहा है। इसके तहत छात्र कुल क्रेडिट का 5% ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि, कुछ अकादमिक परिषद (AC) सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, उनका कहना है कि इससे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।


रेडियो जॉकी जैसे कौशल आधारित पाठ्यक्रम

दिल्ली विश्वविद्यालय अब रेडियो जॉकी (RJ) जैसे कौशल आधारित पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है, जिसमें छात्रों को आवाज़ की ट्रेनिंग, स्टूडियो प्रबंधन और लाइव शो होस्ट करने की तकनीकें सिखाई जाएंगी। इससे छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकते हैं।


विरोध और समिति का गठन

कुछ शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के इन निर्णयों पर नाराजगी व्यक्त की है। AC सदस्य माया जॉन ने स्पष्ट कहा कि SWAYAM जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों से क्रेडिट देना पारंपरिक शिक्षा की गंभीरता को नुकसान पहुंचा सकता है। अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है।


बदलाव का महत्व

दिल्ली विश्वविद्यालय का यह बदलाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर आधुनिक और कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर महत्वपूर्ण शोध विषयों को हटाने से विवाद उत्पन्न हो गया है। क्या यह बदलाव छात्रों के भविष्य के लिए लाभकारी होगा या शिक्षण की स्वतंत्रता पर असर डालेगा? इसका उत्तर शायद भविष्य में स्पष्ट होगा।