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दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम: ध्यान रखने योग्य बातें

दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि में विशेष महत्व रखता है। इस लेख में पाठ के दौरान ध्यान रखने योग्य नियमों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि वस्त्र, मंत्र जाप और अध्यायों का पाठ। सही विधि से पाठ करने पर देवी की कृपा प्राप्त होती है और साधक की इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। जानें और अपने व्रत कथा का फल प्राप्त करें।
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दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम: ध्यान रखने योग्य बातें

व्रत कथा का फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक नियम


दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का महत्व
शारदीय नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे देवी की कृपा प्राप्त होती है और साधक की इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। हालांकि, पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। 13 अध्यायों को एक साथ नहीं पढ़ना चाहिए। यदि व्रत कथा के दौरान कोई गलती होती है, तो इसका फल अधूरा रह सकता है।


दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम



  • पाठ शुरू करने से पहले स्नान करके साधक को लाल या पीले वस्त्र पहनने चाहिए। ये रंग नवरात्रि में पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं। इसके बाद, गंगाजल छिड़ककर देवी का ध्यान करें।

  • व्रत कथा का पाठ शुरू करने से पहले पवित्र मंत्र का जाप करना आवश्यक है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले "ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। य: स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:" मंत्र का जाप करें।

  • किसी भी अध्याय की शुरुआत से पहले कवच, कीलक और अर्गला का पाठ करना चाहिए। सीधे दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से इसका पूरा फल नहीं मिलता।

  • दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ एक बार में करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो इसे तीन भागों में बांटकर पढ़ सकते हैं। पहले चरित्र में पहला अध्याय, दूसरे में 2 से 4 और तीसरे में 5 से 13 तक का पाठ करें।

  • यदि साधक तीन चरित्रों में पाठ नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें देवी के सामने संकल्प लेना चाहिए कि वे नवरात्रि के 9 दिनों में 13 अध्यायों का पाठ करेंगे। इस प्रकार पाठ करने से सुखों में वृद्धि होती है।

  • पाठ के अंत में क्षमा प्रार्थना करना और रात्रि सूक्तम का पाठ करना आवश्यक है। नवरात्रि में विधिपूर्वक पाठ करने से जीवन के दुखों से मुक्ति मिल सकती है।


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