देर रात की आदतें: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव
स्वस्थ जीवनशैली के लिए जरूरी बदलाव
यदि आप रात को देर से सोने, देर तक जागने और रात में भोजन करने के आदी हैं, तो आप अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं। एक सुस्त जीवनशैली कई बीमारियों को जन्म देती है। निरंतर स्वस्थ रहने और खुश रहने के लिए, अपनी दिनचर्या में सुधार करना आवश्यक है।
इस तथ्य को समझें: भोजन के दो से तीन घंटे बाद शरीर में ग्लूकोज का स्तर अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंच जाता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए पैनक्रियाज से इंसुलिन का स्राव होता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने रात का खाना 9 बजे खाया, तो 12 बजे ग्लूकोज अपने उच्चतम स्तर पर होगा और फिर इंसुलिन के माध्यम से 4 बजे तक सामान्य स्तर पर लौटेगा।
यदि इस दौरान कुछ नहीं खाया गया, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इंसुलिन के विपरीत हार्मोन्स, जैसे ग्लूकोगोन, लिवर में संचित ग्लायकोजन को तोड़कर फिर से शुगर का निर्माण करने लगते हैं, जो लिवर और शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
सोने और जागने के समय में असंगति से फेफड़ों, पेट, आंतों और लिवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भूख कम लगने, पेट में एसिड बनने, जलन, सिरदर्द, चक्कर आना, और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बिगड़ी हुई दिनचर्या के कारण फैटी लीवर, फैटी पैनक्रियाज, हृदय रोग, मोटापा, पाचन तंत्र की कमजोरी, तनाव, अवसाद, थकान और कमजोरी जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
