धनतेरस पर कुबेर देव के मंदिरों में दर्शन का महत्व

धनतेरस और दिवाली का महत्व
धनतेरस से दिवाली का पर्व शुरू होता है, जिसमें मुख्य रूप से देव कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन कुबेर की मूर्ति की स्थापना की अनुमति नहीं होती है, और आमतौर पर उनकी मूर्ति का पूजा में उपयोग कम होता है। फिर भी, भारत में कुछ मंदिर हैं जो कुबेर देव को समर्पित हैं, जहाँ उनकी मूर्तियाँ स्थापित हैं। मान्यता है कि धनतेरस से लेकर दीपावली तक इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ रहती है। कुबेर जी के इन मंदिरों में दर्शन करने से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है। यदि आप आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो इन मंदिरों में दर्शन करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
कुबेर भंडारी मंदिर, गुजरात
गुजरात में वडोदरा जिले में स्थित कुबेर भंडारी मंदिर सबसे प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव ने करवाया था। कहा जाता है कि जो लोग धनतेरस और दिवाली के अवसर पर इस मंदिर में दर्शन करते हैं, उनके जीवन में धन की कमी नहीं होती। यह मंदिर वडोदरा से लगभग 60 किमी दूर है, इसलिए यहाँ पहुँचने के लिए कैब का उपयोग करना पड़ सकता है।
उत्तराखंड का प्राचीन कुबेर मंदिर
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में जागेश्वर धाम के पास 100 मीटर की दूरी पर प्राचीन कुबेर देव का मंदिर स्थित है। यहाँ कुबेर की पूजा एकलिंग रूप में की जाती है। इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी राजवंश के राजाओं द्वारा 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच किया गया था। धनतेरस के दिन इस मंदिर में दर्शन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
कुबेर मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में कुबेर देव के तीन मंदिर हैं जहाँ धन के देवता की पूजा की जाती है। पहला मंदिर उज्जैन में है, दूसरा खंडवा के ओंकारेश्वर में, और तीसरा उज्जैन के संदीपनि मुनि के आश्रम में स्थित है। इन मंदिरों में दर्शन करने से धन संबंधी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। संदीपनि मुनि के आश्रम में कुबेर देव की चतुर्भुजी मूर्ति स्थापित है, और यहाँ कुबेर को पंचमेवा, अनार और मौसमी का भोग अर्पित किया जाता है।