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नवजात शिशुओं के लिए हेपेटाइटिस बी का टीका: सुरक्षा की पहली सीढ़ी

नवजात शिशुओं के लिए हेपेटाइटिस बी का टीका एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है और बच्चे के इम्यून सिस्टम को इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए तैयार करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जन्म के समय बच्चे को यह संक्रमण हो जाता है, तो यह जीवनभर के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जानें इस टीके के महत्व और इसे समय पर लगवाने के फायदों के बारे में।
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नवजात शिशुओं के लिए हेपेटाइटिस बी का टीका: सुरक्षा की पहली सीढ़ी

नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए टीकाकरण

एक बच्चे का जन्म किसी परिवार के लिए अपार खुशी का पल होता है, और हर माता-पिता की प्राथमिकता होती है कि वे अपने बच्चे को हर प्रकार की बीमारी से सुरक्षित रखें। इस सुरक्षा की पहली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है 'हेपेटाइटिस बी' का टीका, जो जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, हेपेटाइटिस बी एक गंभीर वायरस है जो लिवर पर हमला करता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वयस्कों में यह कुछ समय बाद ठीक हो सकता है, लेकिन नवजात शिशुओं के लिए यह अत्यधिक खतरनाक है। यदि जन्म के समय बच्चे को यह संक्रमण हो जाता है, तो 90% से अधिक संभावना होती है कि यह बीमारी उसके साथ जीवनभर बनी रहेगी, जो आगे चलकर लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। यह संक्रमण अक्सर संक्रमित मां से बच्चे में जन्म के दौरान फैलता है, और कई बार मां को खुद भी इस वायरस के संक्रमण का पता नहीं होता। यही कारण है कि जन्म के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका 'संजीवनी' का काम करता है।


यह टीका इतना महत्वपूर्ण क्यों है? यह 'जन्म खुराक' बच्चे के शरीर में सुरक्षा कवच का निर्माण करती है। यह टीके की पहली डोज होती है, जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को इस वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है और उसे इस खतरनाक संक्रमण से बचाती है। इसलिए, डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि नवजात शिशु को हेपेटाइटिस बी का पहला टीका जन्म के 24 घंटों के भीतर अवश्य लगना चाहिए। यह एक छोटा सा कदम आपके बच्चे को भविष्य में गंभीर बीमारियों से बचा सकता है और आपके बच्चे के स्वस्थ भविष्य की नींव रखता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।