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नवरात्रि पूजा: कलश स्थापना के बिना भी करें मां दुर्गा की आराधना

नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की भक्ति का समय है। जानें कि कैसे बिना कलश स्थापना के भी आप मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं। इस लेख में सरल विधि और आवश्यक सामग्री के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे आप अपनी श्रद्धा को व्यक्त कर सकते हैं। पूजा की विधि, भोग और मंत्रों के बारे में जानकर इस नवरात्रि को खास बनाएं।
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नवरात्रि पूजा: कलश स्थापना के बिना भी करें मां दुर्गा की आराधना

नवरात्रि का महत्व और पूजा विधि

नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना का एक विशेष समय होता है। इस दौरान भक्तजन अपने घरों में कलश स्थापित कर नौ दिनों तक विधिपूर्वक पूजा करते हैं। हालांकि, कई बार स्थान की कमी, सामग्री की अनुपलब्धता या जानकारी के अभाव के कारण लोग कलश स्थापना नहीं कर पाते। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या बिना कलश स्थापना के पूजा सफल होगी? इसका उत्तर है, हां, बिल्कुल। मां दुर्गा केवल भाव की भूखी हैं, उन्हें दिखावे की आवश्यकता नहीं है। यदि आप सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं, तो बिना कलश स्थापना के भी आपको फल मिलेगा। आइए जानते हैं बिना कलश स्थापना के पूजा करने की सरल विधि।


बिना कलश स्थापना के पूजा विधि


पूजा स्थान की सफाई: सबसे पहले, अपने पूजा स्थान या किसी साफ जगह को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।


चौकी स्थापित करें: वहां एक लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।


मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति: चौकी पर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। यदि आपके पास श्रीयंत्र है, तो उसे भी साथ में रखें।


मां का श्रृंगार: मां दुर्गा को लाल चुनरी ओढ़ाएं और उन्हें कुमकुम, अक्षत (चावल), सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें।


अखंड ज्योति जलाएं: यदि संभव हो, तो नौ दिनों के लिए देसी घी का एक अखंड दीपक जलाएं। यदि यह संभव नहीं है, तो आप सुबह-शाम पूजा के समय दीपक जला सकते हैं।


सरल भोग लगाएं: मां को किसी भी फल, मिठाई या घर में बने सात्विक भोजन का भोग लगाएं। याद रखें, भोग में प्रेम और श्रद्धा होना सबसे जरूरी है।


मंत्र और पाठ: अब शांत मन से दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ या मां दुर्गा के बीज मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" का 108 बार जाप करें।


आरती और क्षमा प्रार्थना: अंत में, कपूर जलाकर मां दुर्गा की आरती करें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें।


यह विधि सरल होने के साथ-साथ प्रभावशाली भी है। ध्यान रखें, पूजा-पाठ में विधि से ज्यादा महत्वपूर्ण आपकी सच्ची श्रद्धा और साफ मन होता है। मां दुर्गा अपने हर भक्त की पुकार सुनती हैं, चाहे वह किसी भी रूप में की गई हो।