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नवरात्रि में प्याज और लहसुन से परहेज का महत्व

नवरात्रि का पर्व केवल पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मा और शरीर की शुद्धि का अवसर भी है। इस दौरान लोग प्याज और लहसुन से परहेज करते हैं। जानें इसके पीछे का आध्यात्मिक और स्वास्थ्य संबंधी महत्व, और कैसे सात्विक आहार मानसिक स्पष्टता और स्थिरता को बढ़ाता है।
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नवरात्रि: एक विशेष पर्व

नवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह आत्मा और शरीर की शुद्धि का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दौरान भारत के लाखों लोग उपवास रखते हैं और सात्विक आहार का पालन करते हैं। इस समय एक सामान्य नियम है कि लोग प्याज और लहसुन से दूर रहते हैं। लेकिन इसका कारण क्या है?


आध्यात्मिक ऊर्जा और आहार का संबंध

नवरात्रि के दिनों को आत्म-शुद्धि और साधना का समय माना जाता है। ध्यान और प्रार्थना में मन को लगाना आवश्यक है, जिसके लिए संतुलित और शुद्ध आहार का होना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, प्याज और लहसुन को तामसिक और राजसिक श्रेणी में रखा गया है, जो मन में उत्तेजना और चंचलता ला सकते हैं।


सात्विक आहार का महत्व

सात्विक भोजन का अर्थ है ऐसा आहार जो न केवल शरीर को, बल्कि मन को भी शुद्ध करे। नवरात्रि के दौरान फल, दूध, सूखे मेवे, साबूदाना, सिंघाड़ा आटा और समा चावल का सेवन किया जाता है। ये खाद्य पदार्थ मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता को बढ़ाते हैं।


प्याज और लहसुन का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

हालांकि प्याज और लहसुन में औषधीय गुण होते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार ये शरीर में 'गर्मी' उत्पन्न करते हैं। उपवास के दौरान जब शरीर हल्के आहार पर होता है, तब ये तत्व पाचन में बाधा डाल सकते हैं, जिससे गैस, अपच और मानसिक बेचैनी बढ़ सकती है।


व्रत का असली उद्देश्य

नवरात्रि का अर्थ केवल व्रत रखना नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को संयमित करना है। इस दौरान सात्विकता को अपनाकर ऊर्जा को ऊंचे स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।