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नवरात्रि व्रत के दौरान स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव

नवरात्रि के पावन पर्व पर भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं, लेकिन इस दौरान व्रत रखने से स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। निर्जला उपवास से डिहाइड्रेशन, पाचन समस्याएं, ब्लड शुगर का असंतुलन, त्वचा पर असर और किडनी पर दबाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में जानें कि कैसे इन समस्याओं से बचा जा सकता है और सुरक्षित तरीके से व्रत रखा जा सकता है।
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नवरात्रि व्रत के दौरान स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव

नवरात्रि व्रत स्वास्थ्य टिप्स

नवरात्रि व्रत स्वास्थ्य टिप्स: नवरात्रि का यह पावन पर्व भक्तों को मां दुर्गा की पूजा में लीन कर देता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है और न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। कई लोग इस दौरान कठोर व्रत रखते हैं, जिसमें निर्जला उपवास भी शामिल होता है। चिकित्सकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि लंबे समय तक पानी का सेवन न करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है।


डिहाइड्रेशन सबसे आम समस्या है। चिकित्सकों के अनुसार, निर्जला व्रत के दौरान पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जिससे थकान, चक्कर आना और सुस्ती महसूस हो सकती है। गंभीर मामलों में उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। Journal of Nutrition (2024) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, केवल 2-3 प्रतिशत पानी की कमी से मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे ध्यान और मूड पर असर पड़ता है।


पाचन संबंधी समस्याएं

पाचन संबंधी समस्याएं


दूसरी बड़ी समस्या पाचन से संबंधित होती है। व्रत के दौरान लोग अक्सर साबूदाना, कुट्टू और आलू जैसे भारी खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, लेकिन पानी का सेवन कम करते हैं। इससे कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। शोध में यह पाया गया है कि पानी की कमी से आंतों में मल सख्त हो जाता है, जिससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है।


ब्लड शुगर का असंतुलन

ब्लड शुगर का असंतुलन


तीसरी समस्या ब्लड शुगर का असंतुलन है। डायबिटीज के मरीजों के लिए निर्जला व्रत अधिक खतरनाक हो सकता है। पानी का सेवन न करने और लंबे समय तक भूखे रहने से ब्लड शुगर अचानक गिर सकता है। वहीं, व्रत तोड़ते समय मीठा खाने से यह तेजी से बढ़ भी सकता है। डिहाइड्रेशन से इंसुलिन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे शुगर नियंत्रण में कठिनाई होती है। चिकित्सक की सलाह के बिना डायबिटीज रोगियों को निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए।


त्वचा पर प्रभाव

त्वचा पर प्रभाव


चौथा प्रभाव त्वचा पर पड़ता है। कम पानी पीने से त्वचा सूखी हो जाती है, होंठ फटने लगते हैं और समय से पहले झुर्रियां दिखाई दे सकती हैं। प्रतिदिन पर्याप्त पानी पीने से त्वचा की नमी बनी रहती है और कोलेजन उत्पादन में सहायता मिलती है।


किडनी पर दबाव

किडनी पर दबाव


पांचवीं और गंभीर समस्या किडनी पर दबाव है। पानी की कमी से पेशाब की मात्रा घट जाती है, जिससे किडनी में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) और किडनी स्टोन का खतरा बढ़ता है। चिकित्सकों का कहना है कि किडनी की सेहत के लिए नियमित रूप से पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है। नवरात्रि के व्रत के दौरान भी शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। यदि धार्मिक कारणों से निर्जला व्रत रखा जा रहा है, तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लें और स्वास्थ्य को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतें।