निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज को मिली निराशा
एक मरीज ने जिला अस्पताल की भीड़ से परेशान होकर निजी अस्पताल का रुख किया, लेकिन वहां उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। इलाज के लिए पैसे जमा करने के बाद भी उन्हें संतोषजनक समाधान नहीं मिला। जानें इस मामले की पूरी कहानी और मरीज के तीमारदार की शिकायतें।
Sep 14, 2025, 13:06 IST
| अस्पताल में इलाज का अनुभव
जिला अस्पताल की भीड़ से परेशान होकर एक मरीज ने निजी अस्पताल का रुख किया, जहां उसे राहत की उम्मीद थी। लेकिन वहां का अनुभव उसके तीमारदार के लिए और भी कठिनाई भरा साबित हुआ। हुमायूंपुर के निवासी मुनीष त्रिवेदी तेज बुखार से पीड़ित थे। उनके परिजन, आयुष त्रिवेदी, उन्हें पहले जिला अस्पताल ले गए, जहां स्थिति यह थी कि एक ही बेड पर दो मरीज भर्ती थे। मजबूर होकर उन्हें नगर के साईं संजीवनी अस्पताल जाना पड़ा।आयुष ने बताया कि मुनीष का आयुष्मान भारत कार्ड बना हुआ है, जिससे उन्हें उम्मीद थी कि वे इसका लाभ उठा सकेंगे। लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने इलाज से मना कर दिया, यह कहते हुए कि यहां केवल सर्जरी से संबंधित सेवाएं उपलब्ध हैं। बुखार जैसे सामान्य रोग के लिए पहले पैसे जमा करने होंगे।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, तीमारदार ने पहले 1600 रुपये जमा किए। इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को देखा, लेकिन कुछ समय बाद भर्ती के लिए 3000 रुपये और मांगे गए। जब ये पैसे भी जमा कर दिए गए, तब इलाज शुरू हुआ। आयुष ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने की कोशिश की, तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया और उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया।
बाद में, उन्होंने हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अभी तक उन्हें पैसे की वापसी नहीं मिली है। आयुष का कहना है कि मरीज को लगातार तेज बुखार है और जांचें भी करवाई गई हैं, लेकिन कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिला।