पंजाब ने रोहू मछली को राज्य मछली के रूप में मान्यता दी
पंजाब में रोहू मछली का महत्व
चंडीगढ़- पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में रोहू (लाबियो रोहिता) को राज्य मछली के रूप में मान्यता दी। उन्होंने बताया कि पंजाब के जलजीव संसाधनों की समृद्धि को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। वर्तमान में, राज्य में 43,683 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य पालन किया जा रहा है, जिससे लगभग दो लाख टन मछली का उत्पादन होता है।
रोहू मछली इस उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसका योगदान 42,353 टन (कुल उत्पादन का 21.18 प्रतिशत) है। इसकी बाजार मूल्य 160 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। यह मछली अपने फ्यूसीफॉर्म शरीर और बड़े साइक्लोइड स्केल्स के कारण प्राकृतिक जलस्रोतों में 45 किलोग्राम तक बढ़ सकती है। रोहू मछली प्रोटीन, विटामिन ए, बी और डी, और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे यह न केवल पंजाब में बल्कि अन्य राज्यों में भी एक लोकप्रिय भोजन बन गई है।
खुड्डियां ने इस क्षेत्र के विकास में मत्स्य पालन विभाग और सहयोगी संस्थानों की भूमिका की सराहना की और रोहू को राज्य मछली घोषित करने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने इंडियन मेजर कार्पस (आइ.एम.सीज़) - रोहू, कतला और मृगल - के महत्व पर भी प्रकाश डाला। विभाग के प्रधान सचिव राहुल भंडारी ने कहा कि रोहू को राज्य मछली घोषित करने से जलस्रोतों में इसकी संख्या बढ़ाने और एक्वाकल्चर उत्पादन में वृद्धि के लिए लक्षित नीतियां तैयार की जाएंगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने पीएमएमएसवाइ योजना के तहत बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करते हुए 637 लाभार्थियों को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, जिन पर 30.63 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। इस पहल का उद्देश्य कृषि से संबंधित राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
