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पंजाब में टायर पायरोलेसिस ऑयल यूनिटों का निरीक्षण, सुरक्षा मानकों की अनदेखी

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्यभर में टायर पायरोलेसिस ऑयल यूनिटों का निरीक्षण किया, जिसमें 11 यूनिटों ने सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया। निरीक्षण में वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की कमी और गंदे पानी के प्रबंधन में खामियां सामने आईं। पीपीसीबी ने अनुपालन न करने वाली यूनिटों के खिलाफ कार्रवाई की है। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पूरी जानकारी।
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पंजाब में टायर पायरोलेसिस ऑयल यूनिटों का निरीक्षण, सुरक्षा मानकों की अनदेखी

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का निरीक्षण अभियान

चंडीगढ़: पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने राज्यभर में सभी टायर पायरोलेसिस ऑयल (टीपीओ) यूनिटों का गहन निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के लिए पंजाब के विभिन्न जिलों में स्थित 17 टीपीओ यूनिटों की जांच के लिए 17 टीमों का गठन किया गया, जिसमें पर्यावरण अभियंता रैंक के अधिकारी शामिल थे।


सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, इन निरीक्षणों का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा उपायों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और कानूनों के तहत प्रदूषण नियंत्रण उपायों के अनुपालन का मूल्यांकन करना था। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि 17 में से 11 यूनिटें आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं कर रही थीं। आम उल्लंघनों में उचित वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की कमी, पायरो गैस का असुरक्षित प्रबंधन और गंदे पानी के प्रबंधन में खामियां शामिल थीं।


इन उल्लंघनों को गंभीरता से लेते हुए, पीपीसीबी ने अनुपालन न करने वाली यूनिटों के खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें नोटिस जारी किए। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में औद्योगिक विकास के साथ-साथ सतत विकास और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प को दोहराया। प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड उद्योगों द्वारा सुरक्षित तकनीकों को अपनाने के लिए दृढ़ है। टायर पायरोलेसिस प्रक्रिया में अपशिष्ट टायरों को ऑक्सीजन-रहित परिस्थितियों में प्रोसेस करके टायर पायरोलेसिस ऑयल (टीपीओ) और कार्बन ब्लैक का उत्पादन किया जाता है। यदि ये यूनिटें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुसार नहीं चलती हैं, तो ये गंभीर पर्यावरणीय खतरों का कारण बन सकती हैं, जैसे कि काले धुएं का उत्सर्जन और गंदे पानी का सही तरीके से निपटान न होना।