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पंजाब सरकार ने जीएसटी कटौती की मांग की, केंद्र से 50 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि की अपील

पंजाब सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की मांग करते हुए केंद्र सरकार से 50 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि तुरंत जारी करने की अपील की है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें केंद्र ने केवल एक हिस्सा ही दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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पंजाब सरकार ने जीएसटी कटौती की मांग की, केंद्र से 50 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि की अपील

पंजाब सरकार की जीएसटी पर मांग

नई दिल्ली - आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कमी के लिए सहमति जताते हुए केंद्र सरकार से 50 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि तुरंत जारी करने की मांग की है।


पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जीएसटी जीओएम की बैठक के बाद दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब को 1 लाख 11 हजार 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें से केंद्र सरकार ने केवल 60 हजार करोड़ रुपये ही दिए हैं। उन्होंने बताया कि 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी भी केंद्र के पास बकाया है। इसके अलावा, आरडीएफ का 8 हजार करोड़ रुपये भी रोका गया है। यदि पंजाब 'वन नेशन-वन टैक्स' योजना में शामिल नहीं होता, तो उसे इतना बड़ा राजस्व नुकसान नहीं होता। अब कंपेनसेशन सेस भी बंद कर दिया गया है।


चीमा ने आगे कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से पिछले आठ वर्षों में 27 बार संशोधन किया गया है और विभिन्न वस्तुओं पर अलग-अलग सेक्टरों को छूट दी गई है। उन्होंने बताया कि 15 बार विभिन्न वस्तुओं की जीएसटी दर में बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री ने जीएसटी के दो स्लैब बनाने की घोषणा की है, जिसमें एक स्लैब 5 प्रतिशत और दूसरा 12 प्रतिशत होगा। हालांकि, जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब और अन्य राज्यों को हुए नुकसान का मुआवजा कौन देगा? 'वन नेशन, वन टैक्स' केंद्र सरकार की योजना थी, जिसमें सभी राज्यों ने सहमति दी थी। सभी ने माना कि पूरे देश में समान टैक्स दरें होनी चाहिए, ताकि कोई राज्य अपने नागरिकों पर कम या ज्यादा टैक्स न लगा सके, लेकिन इस योजना ने पंजाब को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है।


चीमा ने बताया कि गुरुवार को कंपेनसेशन सेस की बैठक में सरकार ने कहा कि कर्ज लेकर जो पैसा राज्यों को दिया गया था, उसका भुगतान अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। हानिकारक वस्तुओं पर विशेष कर लगाया गया था, और जिन राज्यों को इससे नुकसान होता था, उनकी भरपाई की जाती थी। लेकिन अब जो रेट रेशनलाइजेशन कमेटी की रिपोर्ट आ रही है, उससे पता चलता है कि सिलगुड पर भी टैक्स स्लैब कम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा था कि जो भी राज्य नुकसान में जाएगा, उसकी भरपाई की जाएगी, लेकिन अब कंपेनसेशन सेस के तहत राज्यों को मिलने वाला पैसा भी बंद कर दिया गया है। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहती है।