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पंजाब सहकारी समितियों अधिनियम में बदलाव: सरकार ने उठाए महत्वपूर्ण कदम

पंजाब मंत्रिमंडल ने सहकारी समितियों अधिनियम, 1961 में महत्वपूर्ण संशोधन करने का निर्णय लिया है। इस कदम का उद्देश्य गैर-पंजीकृत कब्जे और बेनामी लेन-देन को रोकना है। इसके साथ ही, पंचायत विकास सचिव के नए पद का सृजन भी किया गया है, जिससे ग्रामीण विकास को गति मिलेगी। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके प्रभाव के बारे में।
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पंजाब सहकारी समितियों अधिनियम में बदलाव: सरकार ने उठाए महत्वपूर्ण कदम

कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय


कैबिनेट बैठक में लिया फैसला, गैर-पंजीकृत कब्जे, बेनामी लेन-देन को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया कदम


सहकारी समितियों अधिनियम में संशोधन

चंडीगढ़: पंजाब मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक में पंजाब सहकारी समितियां अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कुछ श्रेणियों की सहकारी समितियों के लिए स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट को समाप्त करने की मंजूरी दी गई है। पहले यह छूट सहकारी संस्थाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए दी गई थी, लेकिन इसके कारण संपत्ति के लेन-देन में औपचारिक पंजीकरण की आवश्यकता को नजरअंदाज किया जाने लगा।


इससे गैर-पंजीकृत कब्जे और बेनामी लेन-देन को बढ़ावा मिला। इसलिए, अधिनियम की धारा 37 में संशोधन किया गया है, जिसमें नई धाराएं जोड़ी गई हैं। राज्य सरकार अब सरकारी गजट के माध्यम से यह निर्देश दे सकती है कि किन सहकारी समितियों को छूट दी जाएगी।


पंचायत विकास सचिव के पद का सृजन

ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, मंत्रिमंडल ने पंचायत सचिवों और ग्राम सेवकों के कैडर को मिलाकर 'पंचायत विकास सचिव' के पद के सृजन को भी मंजूरी दी है। इससे पूरे पंजाब में ग्रामीण विकास को तेज करने के लिए एक राज्य स्तरीय कैडर का गठन किया जाएगा। मौजूदा पंचायत सचिवों के लिए एक 'डाइंग कैडर' बनाया जाएगा, जिसमें उन्हें उनकी वरिष्ठता के अनुसार रखा जाएगा।