पश्चिम बंगाल की नवजात स्वास्थ्य योजनाएं: शिशु साथी और स्वास्थ्य साथी

पश्चिम बंगाल सरकार की नवजात योजनाएं
पश्चिम बंगाल सरकार की योजनाएं नवजात बच्चों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो नवजात मृत्यु दर को कम करने, कुपोषण और एनीमिया से निपटने के लिए बनाई गई हैं। विश्व हृदय दिवस के अवसर पर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिशु साथी योजना का प्रचार करते हुए कहा कि एक स्वस्थ हृदय, स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है। यह योजना विशेष रूप से उन नवजात शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें जन्मजात हृदय रोग होता है।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने नवजात शिशुओं की देखभाल और स्वास्थ्य से संबंधित कई अन्य योजनाएं भी शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं, जो नवजात शिशुओं की भलाई को बढ़ावा देती हैं:
शिशु साथी योजना (Sishu Sathi Scheme)
शिशु साथी योजना, जो 2013 में शुरू की गई थी, सरकारी अस्पतालों में हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के लिए मुफ्त सर्जरी की सुविधा प्रदान करती है। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को जीवन रक्षक चिकित्सा उपलब्ध कराना है।
आवश्यक दस्तावेज
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड, आय प्रमाण पत्र और बीपीएल कार्ड जैसे दस्तावेज आवश्यक हैं। आवेदन करने के लिए आवेदक को पश्चिम बंगाल का निवासी होना चाहिए और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।
स्वास्थ्य साथी योजना (Swasthya Sathi Scheme)
स्वास्थ्य साथी योजना, जो 1 दिसंबर 2020 से लागू हुई, एक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना है। यह योजना सभी परिवारों को कवर करती है और इसमें नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएं भी शामिल हैं। इस योजना के तहत स्मार्ट कार्ड के माध्यम से सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर नवजात शिशुओं के लिए अस्पताल में इलाज, सर्जरी और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को शामिल करता है।
यूनिसेफ के सहयोग से कार्यक्रम
यूनिसेफ पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलकर प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य (RMNCH) से संबंधित कार्यक्रम चला रहा है। इसमें नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल इकाइयों को मजबूत करना और स्तनपान को बढ़ावा देना शामिल है।
स्तनपान को प्रोत्साहन
जन्म के पहले घंटे में स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में केवल 47.5% नवजात शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराया जाता है। इसके अलावा, टीकाकरण और पोषण कार्यक्रमों के माध्यम से नवजात शिशुओं में कुपोषण और एनीमिया को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
यूनिसेफ के प्रयासों ने ग्रामीण-शहरी असमानताओं को कम करने और नवजात शिशुओं की देखभाल में सुधार करने में मदद की है, हालांकि केवल 42% लड़कियों को विशेष देखभाल इकाइयों में भर्ती कराया जाता है, जो लैंगिक असमानता को दर्शाता है।