पश्चिम बंगाल में बीएसएफ जवान की गोलीबारी: सुरक्षा पर उठे सवाल

दुखद घटना का विवरण
शनिवार रात को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धूलियान नगर पालिका क्षेत्र में एक गंभीर घटना हुई, जिसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान ने अपने साथी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना लगभग 10:30 बजे हुई, जब बीएसएफ की 119वीं बटालियन में तैनात जवान एसके मिश्रा और रतन लाल सिंह के बीच विवाद हुआ। आरोपी एसके मिश्रा ने अपनी इंसास राइफल से 13 राउंड फायर किए, जिनमें से पांच गोलियां रतन लाल सिंह को लगीं। गंभीर रूप से घायल सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
बीएसएफ जवानों की तैनाती
बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, दोनों जवानों को कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर हिंसा प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया था, जहां उनकी जिम्मेदारी नागरिकों की सुरक्षा और शांति बनाए रखना था। इस घटना ने क्षेत्र में हलचल मचा दी, क्योंकि स्थानीय लोग बीएसएफ जवानों से अपनी सुरक्षा की उम्मीदें रखते थे। यह घटना ग्रामीणों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, जिन्होंने पहले ही सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी.
रतन लाल सिंह की मौत
गोली लगने के बाद रतन लाल सिंह को पहले अनूपनगर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी गंभीर स्थिति के कारण उन्हें जंगीपुर अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना ने न केवल बीएसएफ के जवानों के बीच तनाव को उजागर किया, बल्कि ग्रामीणों में असंतोष और गुस्सा भी पैदा कर दिया है। स्थानीय लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जिन जवानों पर उनकी सुरक्षा का जिम्मा था, वे आपसी विवादों में इस हद तक क्यों पहुंचे.
आरोपी की गिरफ्तारी
बीएसएफ जवान एसके मिश्रा ने घटना के बाद मौके से भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसे रात भर के भीतर ही हथियार के साथ गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ औपचारिक एफआईआर दर्ज कर ली है और उसे आज जंगीपुर कोर्ट में पेश किए जाने की संभावना है। बीएसएफ अधिकारियों ने भी इस घटना की पुष्टि की है और कहा है कि वे राज्य जांच एजेंसी के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं.
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की है। एक ग्रामीण ने कहा, "हमारे गांव में तैनात बीएसएफ के जवान जो आपसी झगड़ों के कारण एक-दूसरे पर गोली चलाते हैं, वे हमारी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं?" यह सवाल न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है.
स्थाई बीएसएफ शिविर की मांग
इस त्रासदी के बाद, ग्रामीणों ने राज्य पुलिस के प्रति अविश्वास जताते हुए क्षेत्र में एक स्थाई बीएसएफ शिविर की मांग की है। वे चाहते हैं कि बीएसएफ के जवान अधिक जिम्मेदारी से काम करें और इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए उनके बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए.