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पाकिस्तान में गधों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि

पाकिस्तान में गधों की जनसंख्या में इस वर्ष अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1,09,000 अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से चीन में गधों की खाल और मांस की बढ़ती मांग के कारण है। ग्वादर में विशेष बूचड़खाने खोले गए हैं, जिससे चीन की मांग को पूरा किया जा सके। हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ता इस बढ़ती मांग को लेकर चिंतित हैं। जानें इस विषय पर और क्या हो रहा है।
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पाकिस्तान में गधों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि

पाकिस्तान में गधों की बढ़ती संख्या

पाकिस्तान गधा समाचार: इस वर्ष पाकिस्तान में गधों की जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (PBS) द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में गधों की संख्या 1,09,000 बढ़कर 60.8 लाख से अधिक हो गई है। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब गधों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।


इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण चीन में गधों की खाल और मांस की बढ़ती मांग है। चीन में गधों की खाल से बनाई जाने वाली पारंपरिक औषधि 'Ejiao' काफी प्रचलित है, जो त्वचा, रक्त संचार और प्रजनन संबंधी समस्याओं के उपचार में उपयोग की जाती है। यह दवा चीन के उच्च वर्ग में विशेष रूप से लोकप्रिय है।


गधों के लिए नए बूचड़खाने

पिछले कुछ वर्षों में चीन में गधों की संख्या में भारी कमी आई है, जिसके कारण अब वहां की मांग पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों से पूरी की जा रही है। इस मांग को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने पशु निर्यात से संबंधित नियमों में ढील दी है।


एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्वादर में एक बूचड़खाना विशेष रूप से गधों के मांस, खाल और हड्डियों के लिए खोला गया है, ताकि चीन की मांग को पूरा किया जा सके। चीन हर साल लगभग 59 लाख गधों की आवश्यकता व्यक्त करता है। पशु कल्याण समूहों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इतनी अधिक मांग के कारण हर साल लाखों गधों की हत्या की जाती है।


पाकिस्तान में अन्य पशुओं की जनसंख्या

गधों के अलावा, पाकिस्तान में भैंसों की संख्या 1.38 मिलियन बढ़कर 47.688 मिलियन, बकरियों की संख्या 2.35 मिलियन बढ़कर 89.393 मिलियन और भेड़ों की संख्या 3.88 लाख बढ़कर 33.119 मिलियन तक पहुंच गई है।


गधों की बढ़ती जनसंख्या ने पाकिस्तान को एक अनोखे व्यापार अवसर का मार्ग प्रशस्त किया है। चीन की पारंपरिक दवाओं की मांग ने पाकिस्तान की पशुपालन नीतियों में नई दिशा दी है, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ता इस बढ़ती मांग को लेकर चिंतित हैं।