पिता ने निभाई माताओं की परंपरा: रोहतास के डोमन रवानी की प्रेरणादायक कहानी
रोहतास जिले के डोमन रवानी ने समाज की परंपराओं को चुनौती देते हुए जितिया व्रत को पिता की जिम्मेदारी के रूप में निभाने का संकल्प लिया है। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाती है कि संतान के प्रति त्याग और समर्पण केवल माताओं तक सीमित नहीं है। पत्नी के निधन के बाद, डोमन ने अपने बच्चों की देखभाल के लिए इस कठिन तपस्या को अपनाया। जानें कैसे उन्होंने अपने बच्चों के लिए इस परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने संकल्प को मजबूत किया।
Sep 15, 2025, 17:24 IST
| डोमन रवानी का अनोखा संकल्प
रोहतास जिले के काराकाट प्रखंड के बुटवल गांव के निवासी डोमन रवानी ने समाज की परंपराओं को एक नई दिशा दी है। जहां जितिया व्रत को आमतौर पर माताओं से जोड़ा जाता है, वहीं डोमन ने पिछले 12 वर्षों से इसे पिता की जिम्मेदारी के रूप में निभाया है। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि संतान के प्रति त्याग और समर्पण केवल माताओं तक सीमित नहीं है।डोमन की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनकी पत्नी का अचानक निधन हो गया। इस घटना ने उनके जीवन में गहरा खालीपन छोड़ दिया, और उनके तीन छोटे बच्चे पूजा, महेश और शंकर अपनी मां के प्यार और देखभाल से वंचित रह गए। इस कठिनाई के बावजूद, डोमन ने इस पर्व को बंद करने के बजाय इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
डोमन बताते हैं कि इस व्रत के दौरान उन्हें 24 घंटे तक न तो भोजन मिलता है और न ही जल। यह तपस्या उनके शरीर और मन पर भारी पड़ती है, लेकिन बच्चों की भलाई के लिए उनका संकल्प हर कठिनाई को पार कर जाता है। उनका मानना है कि भले ही उनकी पत्नी अब उनके साथ नहीं हैं, लेकिन बच्चों की परवरिश और आशीर्वाद देने की जिम्मेदारी वे पूरी निष्ठा से निभाते रहेंगे।