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पितृपक्ष में नॉनवेज खाने पर प्रतिबंध: जानें क्यों है यह जरूरी

पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान नॉनवेज खाने पर प्रतिबंध है, जिसका पालन न करने से पितर नाराज हो सकते हैं। जानें कि क्यों पितृपक्ष में नॉनवेज का सेवन वर्जित है और इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि तामसिक भोजन से परहेज क्यों आवश्यक है और पितृदोष से बचने के उपाय क्या हैं।
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पितृपक्ष में नॉनवेज खाने पर प्रतिबंध: जानें क्यों है यह जरूरी

पितृपक्ष का महत्व और नॉनवेज का प्रतिबंध

पितृपक्ष का समय, चंडीगढ़: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह 15 दिनों का समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है, जिसमें पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य या मांगलिक आयोजन नहीं किया जाता है। इसके साथ ही, खान-पान के लिए भी कड़े नियम हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नियमों का पालन न करने पर पितर नाराज हो सकते हैं और पितृदोष का खतरा बढ़ सकता है। आइए जानते हैं, पितृपक्ष में नॉनवेज खाना क्यों मना है।


क्या श्राद्ध में नॉनवेज खाना उचित है?


पितृपक्ष के दौरान नॉनवेज का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। मांस, मछली और अंडे जैसी तामसिक चीजों का सेवन इस समय नहीं करना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों? इसका उत्तर धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में छिपा हुआ है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पितृपक्ष में नॉनवेज से परहेज क्यों आवश्यक है।


नॉनवेज का सेवन क्यों वर्जित है?


पितृपक्ष को आध्यात्मिक शुद्धता का समय माना जाता है। इस दौरान मांस, मछली, शराब या अन्य तामसिक भोजन से बचना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा नाराज हो सकती है, जिससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए इस समय शाकाहारी और सात्विक भोजन का सेवन करने की सलाह दी जाती है, ताकि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।


पितृदोष का भय


गया सहित देशभर में पितृपक्ष के दौरान नॉनवेज, प्याज, लहसुन और शराब जैसे तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है। यह परंपरा पितरों के सम्मान और उनकी आत्मा की शांति के लिए है। मान्यता है कि नॉनवेज खाने से पितृदोष लग सकता है, जिससे जीवन में परेशानियां जैसे आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य समस्याएं या अन्य रुकावटें आ सकती हैं।


तामसिक भोजन से क्यों बचें?


मांस, मछली और अंडे तामसिक प्रकृति के माने जाते हैं, जो आध्यात्मिक शुद्धता को प्रभावित करते हैं। पितृपक्ष में शुद्ध और सात्विक भोजन अपनाने से आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है। यह समय पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाने का होता है, और नॉनवेज से परहेज इसका हिस्सा है। इसके साथ ही, मसूर दाल, चना और अधिक मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए।


नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।