प्रेग्नेंसी में कठिनाई: फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाली आदतें

प्रेग्नेंट होने में कठिनाई का कारण
कई महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लंबे प्रयासों के बावजूद मां बनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कभी-कभी, पीरियड्स और ओव्यूलेशन के दिनों को ट्रैक करने के बाद भी गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है। यदि आप भी ऐसी स्थिति का सामना कर रही हैं, तो आपकी कुछ आदतें इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। गर्भधारण के लिए स्वस्थ जीवनशैली और खानपान अपनाना आवश्यक है।
फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाने वाली आदतें
यदि आपकी डाइट में प्रोटीन की कमी है, तो यह आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। इससे इंसुलिन संवेदनशीलता पर असर पड़ता है और अंडाणु तथा शुक्राणु की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए, फर्टिलिटी को सुधारने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए।
अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन भी फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इनमें शुगर और ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है।
यदि आप सोने से पहले मोबाइल का अधिक उपयोग करती हैं, तो यह आपके शरीर में हैप्पी हार्मोन मेलाटोनिन की कमी कर सकता है, जिससे मासिक चक्र प्रभावित होता है।
योग और व्यायाम की कमी और लंबे समय तक बैठे रहने से भी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। इससे हार्मोनल असंतुलन होता है और ओव्यूलेशन प्रभावित होता है।
शारीरिक सक्रियता की कमी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई होती है।
यदि आप लंबे समय से तनाव में हैं, तो यह भी गर्भधारण में बाधा डाल सकता है। तनाव के कारण अंडाणु की गुणवत्ता खराब हो सकती है और पीरियड्स में अनियमितता आ सकती है।
भावनात्मक खाने की आदतें भी शरीर में एंड्रोजन और एस्ट्रोजन को प्रभावित करती हैं, जिससे गर्भधारण में कठिनाई होती है।
यदि आप प्लास्टिक के बर्तनों में खाना बनाती हैं या स्टोर करती हैं, तो इनमें मौजूद रसायन एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
यदि आप व्यस्त जीवनशैली के कारण रेडी-टू-ईट मील्स का सेवन कर रही हैं, तो यह भी आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। इनमें प्रिजर्वेटिव, सोडियम और अस्वास्थ्यकर वसा होती है, जो शरीर में तनाव बढ़ा सकती है।
अधिक कैफीन का सेवन भी शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को प्रभावित करता है और प्रजनन अंगों में रक्त प्रवाह को कम कर सकता है।