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प्रेमानंद महाराज का संदेश: भक्ति और प्रार्थना से पाएं जीवन की कठिनाइयों का समाधान

वृंदावन के श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम में प्रेमानंद महाराज भक्तों को भक्ति और प्रार्थना के महत्व के बारे में बताते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ज्योतिष से संबंधित सवालों का उत्तर ज्योतिषाचार्य ही दे सकते हैं, जबकि संतों का कार्य भक्तों को ईश्वर की ओर ले जाना है। महाराज ने राजा जनक की कथा का उदाहरण देकर बताया कि इंसान भविष्य नहीं देख सकता और प्रार्थना करना अधिक महत्वपूर्ण है। उनका जीवन परिचय भी प्रेरणादायक है, जिसमें उन्होंने 13 साल की उम्र में सन्यास लिया और आज लाखों लोग उन्हें गुरु मानते हैं।
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प्रेमानंद महाराज का संदेश: भक्ति और प्रार्थना से पाएं जीवन की कठिनाइयों का समाधान

प्रेमानंद महाराज का आश्रम: श्रद्धालुओं का केंद्र

क्षेत्रीय समाचार: वृंदावन स्थित श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त प्रेमानंद महाराज से मिलने आते हैं। इनमें से कई लोग मानसिक शांति की तलाश में होते हैं, जबकि कुछ अपने मकान, नौकरी और विवाह जैसे मुद्दों पर सवाल पूछते हैं। महाराज ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने से मना कर देते हैं। हाल ही में एक भक्त ने उनसे पूछा कि कब मकान बनेगा और बेटी की शादी कब होगी। महाराज ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उनका कार्य केवल भगवान और भक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करना है।


ज्योतिष और संतों का मार्गदर्शन

महाराज ने स्पष्ट किया कि शादी या मकान जैसे विषयों पर ज्योतिषाचार्य से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि वही कुंडली देखकर सही उत्तर दे सकते हैं। संतों का कार्य तिथियों का निर्धारण करना नहीं है, बल्कि भक्तों को ईश्वर की ओर ले जाना है। उन्होंने भक्तों को समझाया कि ज्योतिष एक विद्या है, लेकिन संत आत्मा के मार्गदर्शन के लिए होते हैं, न कि भौतिक समस्याओं के लिए। जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान केवल ईश्वर की शरण में है। ज्योतिष दिशा दिखा सकता है, लेकिन भाग्य बदलने का कार्य केवल प्रभु का है।


सीता स्वयंवर की कथा से सीख

महाराज ने राजा जनक के उदाहरण का उल्लेख किया, जिन्होंने यह नहीं जाना कि कोई धनुष नहीं उठा पाएगा। यदि उन्हें पता होता, तो वे प्रण ही नहीं लेते। जब राजा भी भविष्य नहीं देख पाए, तो संत सांसारिक भविष्य कैसे बता सकते हैं? इस कथा से उन्होंने भक्तों को महत्वपूर्ण संदेश दिया कि इंसान भविष्य की थाह नहीं पा सकता। भगवान ही सब कुछ जानते हैं, इसलिए भविष्य पूछने के बजाय प्रार्थना करना अधिक उचित है। महाराज ने कहा कि यह कथा आज भी हर व्यक्ति को मार्गदर्शन देती है।


भक्ति और प्रार्थना का महत्व

महाराज ने कहा कि जैसे जनक जी ने रुदन और प्रार्थना की थी, वैसे ही भक्तों को भी ईश्वर से विनती करनी चाहिए। संतों से सांसारिक उत्तर न मांगें। असली मार्ग भगवान का नाम लेना, समर्पण करना और गुरु की राह पर चलना है। उन्होंने बताया कि भक्ति से हर कठिनाई आसान हो जाती है और जीवन का बोझ हल्का हो जाता है। भक्तों को समझाया कि भगवान के नाम में ही हर समस्या का समाधान है। यदि कोई सच्चे मन से प्रार्थना करे, तो चमत्कार अपने आप घटित होते हैं।


प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय

प्रेमानंद महाराज, जिनका जन्म 1969 में कानपुर के निकट अखारी गाँव में हुआ, का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सन्यास लेने का निर्णय लिया। गुरु श्री गौरांगी शरण के मार्गदर्शन में उन्होंने अपने जीवन को ईश्वर और अध्यात्म को समर्पित कर दिया। बचपन से ही उनकी रुचि साधना और भक्ति में थी। परिवार ने सोचा था कि वे सामान्य जीवन जिएंगे, लेकिन उनका मन हमेशा भगवान में लगा रहा। आज लाखों लोग उन्हें गुरु मानते हैं और उनकी शिक्षाओं से जीवन का मार्ग खोजते हैं।