फेस्टिव सीजन में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी, रिकॉर्ड बिक्री का अनुभव

भारत में त्योहारी सीजन की आर्थिक गतिविधियाँ
नई दिल्ली / मुंबई: इस वर्ष भारत में फेस्टिव सीजन के दौरान आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। जीएसटी सुधार लागू होने के बाद, ऑटोमोबाइल, सोने और इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री ने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं।
धनतेरस के अवसर पर सोने और चांदी की बिक्री में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और ऑटो उद्योग में भी बिक्री की मात्रा में सुधार हुआ है।
विश्लेषकों का मानना है कि त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी के प्रति नया उत्साह देखने को मिल रहा है।
धनतेरस पर अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने हाल की कीमतों में गिरावट के बाद सोने और चांदी की खरीदारी में वृद्धि की सूचना दी है।
जीजेसी के अध्यक्ष राजेश रोकड़े ने कहा, "हमें उम्मीद है कि त्योहारी बिक्री 50,000 करोड़ रुपए को पार कर जाएगी। सोने और चांदी की ऊंची कीमतों के बावजूद, लोग शादी और अन्य अवसरों के लिए खरीदारी कर रहे हैं।"
सोने के सिक्कों और हॉलमार्क वाली हल्की ज्वेलरी की मांग में वृद्धि हुई है, जबकि चांदी के सिक्कों और पूजा से जुड़े उत्पादों की बिक्री में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी अमित कामत ने बताया कि इस साल धनतेरस और दिवाली की डिलीवरी शुभ मुहूर्त के अनुसार दो-तीन दिनों में होगी।
उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर मांग मजबूत बनी हुई है और जीएसटी 2.0 सुधार ने इसे और भी सकारात्मक दिशा में बढ़ाया है। हमें इस अवधि में 25,000 से अधिक वाहनों की डिलीवरी की उम्मीद है।"
यह सकारात्मक गति त्योहारी उत्साह, बाजार के उत्साहजनक माहौल और जीएसटी 2.0 सुधारों के प्रभाव से प्रेरित है।
हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) के पूर्णकालिक निदेशक और सीओओ तरुण गर्ग ने कहा, "हमें ग्राहकों की अच्छी मांग देखने को मिल रही है और डिलीवरी लगभग 14,000 यूनिट होने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।"
सीएआईटी के अनुसार, धनतेरस पर पूरे भारत में भारी खरीदारी हुई, जिसमें कुल व्यापार 1 लाख करोड़ रुपए को पार करने का अनुमान है, जो हाल के वर्षों में सबसे मजबूत त्योहारी सीज़न में से एक है। अकेले सोने और चांदी की बिक्री में 60,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान रहा, जबकि स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ने से दिल्ली के बाजारों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन दर्ज किया गया।