एनीमिया: इसमें आयरन और फोलिक एसिड की मात्रा होती है। लगभग डेढ़ महीने तक इसे सब्जी के रूप में खाने या 15-20 मिलीलीटर (लगभग 4 चम्मच) रस सुबह-शाम लेने से खून की कमी की समस्या दूर हो जाती है।
पीलिया: इसके 15 मिलीलीटर रस को 30 मिलीलीटर गिलोय रस के साथ लगभग 10 दिनों तक लेने से पीलिया में राहत मिलती है।
बवासीर: इसके पंचांग (तना, जड़, पत्ते, फूल और बीज) को सुखाकर चूर्ण बना लें। लगभग 10 ग्राम चूर्ण को 15 दिनों तक सुबह-शाम बकरी के दूध के साथ लेने से समस्या दूर हो जाती है।
अनियमित माहवारी: 10 ग्राम बीज को 200 मिली पानी में उबालें। जब 50 मिली पानी बच जाए, तो इसे छान लें। छने हुए पानी में लगभग 2 ग्राम सौंठ मिलाकर गर्मागर्म पिएं। इससे अनियमित माहवारी की समस्या और दर्द में राहत मिलती है।
पथरी: बथुआ में क्षार होता है। पथरी की प्रारंभिक अवस्था में इसके रस का सेवन 20 दिनों तक करने से पथरी टूटकर यूरिन के जरिए बाहर निकल जाती है।
