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बाल झड़ने के कारण: तनाव और एलोपेसिया की भूमिका

बाल झड़ने की समस्या आजकल आम हो गई है, जिसका मुख्य कारण तनाव और एलोपेसिया हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एलोपेसिया एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम बालों की जड़ों पर हमला करता है। यह स्थिति अस्थायी या स्थायी हो सकती है। जानें इसके प्रकार, जोखिम कारक और इलाज के बारे में। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो विशेषज्ञों की सलाह लेना न भूलें।
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बाल झड़ने के कारण: तनाव और एलोपेसिया की भूमिका

बाल झड़ने के कारण

आजकल तनाव या स्ट्रेस एक आम समस्या बन गई है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जैसे कि बालों का झड़ना। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर बार बालों का गिरना तनाव से ही संबंधित हो। लंबे समय तक तनाव रहने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। यदि आपके बाल लगातार गिर रहे हैं या गंजापन बढ़ रहा है, तो यह एलोपेसिया नामक बीमारी का संकेत हो सकता है।


एलोपेसिया क्या है?

एलोपेसिया एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम बालों की जड़ों पर हमला करता है। इससे सिर या शरीर के अन्य हिस्सों में बाल गिरने लगते हैं। यह स्थिति अस्थायी या स्थायी हो सकती है।


विशेषज्ञों की राय

काया क्लिनिक की कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, डॉ. हरकनवाल सेखों के अनुसार, तनाव और उम्र को बालों के झड़ने का मुख्य कारण माना जाता है, लेकिन यह एलोपेसिया का लक्षण भी हो सकता है। एलोपेसिया के कई प्रकार होते हैं, जिनके बारे में जानना आवश्यक है।


एलोपेसिया के प्रकार

एलोपेसिया एरिएटा (Alopecia Areata): यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें बाल गोल पैच में गिरते हैं। यह सिर, दाढ़ी, आइब्रो या पलकों को प्रभावित कर सकता है।


एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया (Androgenetic Alopecia): यह हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है और पुरुषों में यह माथे से बालों के पीछे हटने के रूप में दिखाई देता है। महिलाओं में यह सिर के ऊपर बालों के पतले होने के रूप में प्रकट होता है।


टेलोजेन एफ्लुवियम (Telogen Effluvium): यह तनाव, बीमारी, सर्जरी या कड़ी डाइटिंग के कारण होता है, जिसमें अचानक पूरे सिर से बाल गिरने लगते हैं।


एलोपेसिया के जोखिम कारक

डॉ. सेखों का कहना है कि बढ़ता तनाव, पोषण की कमी और जीवनशैली में बदलाव के कारण भारत में यह समस्या बढ़ रही है। युवा वर्ग भी अब एलोपेसिया से अधिक प्रभावित हो रहा है।


क्या पुरुष और महिलाएं दोनों प्रभावित होते हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पुरुषों में बाल झड़ने की समस्या अधिक देखी जाती है, खासकर एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया के कारण। यह समस्या 20 या 30 की उम्र से शुरू हो सकती है। महिलाओं में 35 की उम्र के बाद बाल पतले होने लगते हैं, लेकिन यह अधिक स्पष्ट नहीं होता। एलोपेसिया एरिएटा जैसे प्रकार पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को भी प्रभावित कर सकते हैं।


इलाज क्या है?

यदि बाल झड़ना कुछ हफ्तों तक जारी रहता है या स्थिति बिगड़ती है, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श करना आवश्यक है। इसके लिए खून की जांच या स्कैल्प की जांच की जा सकती है। इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का एलोपेसिया है। डॉक्टर क्रीम, दवाएं, इंजेक्शन या हेयर ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं।


जरूरी सलाह

सेल्फ-मेडिकेशन से बचें, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह के ली गई दवाएं समस्या को और बढ़ा सकती हैं।