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बिहार में देशी मछली पालन: किसानों के लिए सुनहरा अवसर

बिहार में देशी मछली पालन अब किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन गया है। सरकार ने इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 60% तक की सब्सिडी देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत माइनर कार्प और कैटफिश जैसी मछलियों के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है, जिससे किसानों को आसानी होगी। जानें इस योजना के लाभ और आवेदन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से।
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बिहार में देशी मछली पालन: किसानों के लिए सुनहरा अवसर

बिहार में देशी मछली पालन: किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता

बिहार में देशी मछली पालन अब केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन गया है! राज्य सरकार ने मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जो किसानों के लिए एक वरदान के समान है। माइनर कार्प और कैटफिश जैसी देशी मछलियों के पालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार 60% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसका मतलब है कि कम लागत में अधिक लाभ! यदि आप बिहार के किसान हैं और अपनी आय को दोगुना करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। आइए, इस योजना के सभी पहलुओं को समझते हैं और जानते हैं कि आप इसे कैसे लाभकारी बना सकते हैं।


बिहार सरकार की अनूठी पहल: मछली पालन को बढ़ावा


बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग देशी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस योजना का उद्देश्य बिहार की जल संपदाओं का सही उपयोग करते हुए माइनर कार्प और कैटफिश का उत्पादन बढ़ाना है। ये मछलियां न केवल बाजार में अच्छी कीमत लाती हैं, बल्कि इन्हें पालना भी सरल है। सरकार का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और किसानों की वार्षिक आय में वृद्धि करना है। इस योजना के तहत मछली पालन के लिए बीज उत्पादन से लेकर हैचरी तक की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।


सब्सिडी और योजनाओं का खजाना


बिहार में देशी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने चार श्रेणियों में सब्सिडी की व्यवस्था की है। पहली श्रेणी में माइनर कार्प हैचरी के लिए 13.12 लाख रुपये प्रति इकाई की लागत पर 60% सब्सिडी दी जा रही है। दूसरी श्रेणी में कैटफिश हैचरी के लिए 15.37 लाख रुपये प्रति इकाई का खर्च है, जिसमें भी 60% सब्सिडी मिलेगी। तीसरी श्रेणी में माइनर कार्प पालन के लिए 0.94 लाख रुपये प्रति इकाई और चौथी श्रेणी में कैटफिश व अन्य मछलियों के पालन के लिए 1.35 लाख रुपये प्रति इकाई की लागत पर सब्सिडी उपलब्ध है। शेष राशि किसान स्वयं या बैंक लोन के माध्यम से जुटा सकते हैं। यह योजना पूरे बिहार में लागू है और सभी जिलों के किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।


आवेदन कैसे करें?


इस योजना का लाभ उठाना बहुत आसान है। बिहार सरकार ने आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया है, ताकि किसानों को दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़े। आपको बस Fisheries.bihar.gov.in पर जाकर 31 अगस्त 2025 तक आवेदन करना है। इसके लिए न्यूनतम 0.25 एकड़ और अधिकतम 1 एकड़ जल क्षेत्र की आवश्यकता होगी। हर परिवार से एक व्यक्ति इस योजना का लाभ उठा सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप State.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.Html पर जा सकते हैं या अपने जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।


किसानों के लिए यह योजना क्यों फायदेमंद है?


बिहार में देशी मछली पालन न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। माइनर कार्प और कैटफिश जैसी मछलियां कम खर्च में अधिक मुनाफा देती हैं। इनका बाजार बिहार से लेकर पूरे देश में है। सरकार की सब्सिडी और तकनीकी सहायता से किसानों को नई हैचरी तकनीकों का लाभ मिलेगा, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। यह योजना ग्रामीण बिहार को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तो देर किस बात की? यदि आपके पास थोड़ी सी जमीन और पानी का स्रोत है, तो इस योजना से जुड़कर आप अपनी किस्मत बदल सकते हैं!