बील और शतावरी: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

बील के फायदों का जादू
बील के पके फल का गूदा एक चम्मच दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। यदि कब्ज पुरानी हो, तो चार चम्मच चूर्ण के साथ दो चम्मच मिश्री का सेवन करें। मुंह में छाले होने पर बील की पत्तियों को चबाना फायदेमंद होता है। बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी, खांसी और बुखार के लिए बीलपत्र का रस और शहद मिलाकर लेना लाभकारी है। बील के पत्तों को पीसकर गुड़ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार में आराम मिलता है। पेट में कीड़े होने पर बील का रस पीना चाहिए। बच्चों को दस्त होने पर एक चम्मच रस देना चाहिए। इसके रस में मिश्री मिलाने से एसिडिटी में राहत मिलती है। मधुमक्खी या ततैया के काटने पर बीलपत्र का रस लगाने से लाभ होता है।
शतावरी: इम्युनिटी का साथी
शतावरी एक कांटेदार झाड़ी है, जो भारत में पाई जाती है। इसके औषधीय गुणों के बारे में जानें। शतावरी में फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन में मदद करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व हृदय रोगों और जीवनशैली से संबंधित डायबिटीज में लाभकारी होते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को झुर्रियों और सूर्य की किरणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। शतावरी के डंठल में विटामिन ए, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो किडनी की कार्यप्रणाली को सुधारते हैं। पेशाब में खून आने की समस्या होने पर शतावरी की जड़ों का एक चम्मच चूर्ण, एक कप दूध में उबालकर दिन में तीन बार पीने से राहत मिलती है। टी.बी. की समस्या में भी इसके जड़ों का चूर्ण लाभकारी होता है।