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बील और शतावरी: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

बील और शतावरी, दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। बील का गूदा कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है, जबकि शतावरी इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक है। जानें इन दोनों के अन्य फायदों के बारे में, जैसे बुखार, पेट के कीड़े, और त्वचा की सुरक्षा। यह लेख आपको बताएगा कि कैसे इन प्राकृतिक उपायों का उपयोग करके आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।
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बील और शतावरी: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

बील के फायदों का जादू

बील के पके फल का गूदा एक चम्मच दूध के साथ लेने से कब्ज की समस्या में राहत मिलती है। यदि कब्ज पुरानी हो, तो चार चम्मच चूर्ण के साथ दो चम्मच मिश्री मिलाकर सेवन करें। मुंह में छाले होने पर बील की पत्तियों को चबाना फायदेमंद होता है। बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी, खांसी और बुखार के लिए बीलपत्र के रस में शहद मिलाकर लेना लाभकारी है। बील के पत्तों को पीसकर गुड़ मिलाकर गोलियां बना लें, जो बुखार में राहत देती हैं। पेट में कीड़े होने पर बील का रस पीना चाहिए। बच्चों को दस्त होने पर एक चम्मच रस देना चाहिए। इसके रस में मिश्री मिलाकर पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है। मधुमक्खी या ततैया के काटने पर बीलपत्र का रस लगाने से लाभ होता है।


शतावरी: इम्युनिटी का साथी

शतावरी एक कांटेदार झाड़ी है, जो भारत में पाई जाती है। इसके औषधीय गुणों के बारे में जानें। शतावरी में फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन में मदद करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व हृदय रोगों और जीवनशैली से संबंधित डायबिटीज में लाभकारी होते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को झुर्रियों और सूर्य की किरणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।


शतावरी के अन्य लाभ

शतावरी के डंठल में विटामिन ए, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो किडनी की कार्यप्रणाली को सुधारते हैं। यदि पेशाब के साथ खून आने की समस्या हो, तो शतावरी की जड़ों का एक चम्मच चूर्ण, एक कप दूध में उबालकर, चीनी मिलाकर दिन में तीन बार पीने से राहत मिलती है। टी.बी. की समस्या में भी इसकी जड़ों का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से लाभ होता है। बाजार में शतावरी के कई उत्पाद उपलब्ध हैं, जिन्हें विशेषज्ञ की सलाह से ही उपयोग करना चाहिए।