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बुरे सपने और स्वास्थ्य: समय से पहले मौत का संकेत

बुरे सपने केवल एक सामान्य अनुभव नहीं हैं, बल्कि ये गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकते हैं। हाल ही में लंदन में हुई एक स्टडी ने यह खुलासा किया है कि बार-बार बुरे सपने देखने वाले व्यक्तियों में समय से पहले मृत्यु का खतरा तीन गुना अधिक होता है। इस अध्ययन में 1.80 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि बुरे सपनों का संबंध मानसिक और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से भी है। जानें इस विषय पर और क्या कहती है रिसर्च और कैसे साइकोथेरेपी मदद कर सकती है।
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बुरे सपने और स्वास्थ्य: समय से पहले मौत का संकेत

बुरे सपनों का सामान्य होना

सोते समय सपनों का आना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कभी-कभी हमें बुरे सपने भी देखने को मिलते हैं। ऐसे सपने हमें डराते हैं और कई बार हम परेशान हो जाते हैं। हालांकि, यदि आपको हर हफ्ते बुरे सपने आते हैं, तो यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है।


लंदन की स्टडी के निष्कर्ष

लंदन में की गई एक रिसर्च के अनुसार, बार-बार बुरे सपने देखना समय से पहले मृत्यु का संकेत हो सकता है। यह खतरा धूम्रपान, मोटापे और खराब आहार से भी अधिक गंभीर माना गया है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन में लगभग 1.80 लाख लोगों पर यह अध्ययन किया गया, जिसके परिणाम चौंकाने वाले थे।


स्टडी का विश्लेषण

इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉ. अबिदेमी ओटाइकू ने अमेरिका और ब्रिटेन में हुई छह प्रमुख स्टडीज का विश्लेषण किया। इसमें 1.80 लाख से अधिक वयस्कों और 2500 बच्चों को शामिल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि हर हफ्ते बुरे सपने देखने वालों में 70 वर्ष की आयु से पहले मृत्यु का खतरा तीन गुना अधिक था।


उम्र में तेजी से वृद्धि

डॉ. ओटाइकू ने बताया कि जिन व्यक्तियों को बार-बार बुरे सपने आते हैं, उनके क्रोमोसोम में उम्र बढ़ने के संकेत मिले हैं। यह बुरे सपनों के कारण रिलीज होने वाले स्ट्रेस हार्मोन के प्रभाव के कारण हो सकता है। समय से पहले मृत्यु के खतरे में 40 प्रतिशत से अधिक योगदान इन क्रोमोसोम में बदलाव का है।


मानसिक और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का संबंध

बुरे सपनों का संबंध कई मानसिक और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से भी है, जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्किजोफ्रेनिया और PTSD। इसके अलावा, क्रॉनिक पेन और ल्यूपस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों में भी बुरे सपने आना आम है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी बीमारियों से पहले भी बुरे सपने आने की संभावना रहती है।


बुरे सपनों के मरीजों की बढ़ती संख्या

विशेषज्ञों के अनुसार, हर महीने बुरे सपने देखने वालों की संख्या 29 प्रतिशत तक होती है। वहीं, सप्ताह में एक या अधिक बार बुरे सपने देखने वालों की संख्या 6 प्रतिशत है। 2021 में 11 प्रतिशत लोगों ने अक्सर बुरे सपने देखे, जबकि 2019 में यह संख्या केवल 6.9 प्रतिशत थी।


साइकोथेरेपी का महत्व

विशेषज्ञों का मानना है कि बुरे सपनों का इलाज आसान नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में साइकोथेरेपी मददगार हो सकती है। हालांकि, इस दिशा में अधिक शोध की आवश्यकता है। बुरे सपनों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।