ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम: जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम: दिल टूटने की बीमारी!
हम सभी एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जहां लोग एक-दूसरे से गहरे भावनात्मक संबंध रखते हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि 'मेरा दिल टूट गया'। यह वाक्य असल जिंदगी, फिल्मों या टीवी शो में आम है।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि दिल सचमुच टूट सकता है? चिकित्सा विज्ञान इसे ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के नाम से जानता है, जो एक गंभीर हृदय रोग है, न कि केवल एक कहावत।
इस बीमारी का पहला उल्लेख 1990 में जापान में हुआ था। इसके बाद, मेयो क्लीनिक, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जैसी संस्थाओं ने इस पर गहन अध्ययन किया। भारत में भी एम्स और अपोलो जैसे प्रमुख अस्पतालों में इसके मामले सामने आ रहे हैं। खासकर भारत जैसे देश में, जहां तनाव, पारिवारिक दबाव, आर्थिक समस्याएं और रिश्तों में दरारें आम हैं, यह बीमारी महत्वपूर्ण बन जाती है।
हमने इस विषय पर दो हृदय रोग विशेषज्ञों से चर्चा की- अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार और मैक्स अस्पताल, पटपड़गंज के कार्डियक साइंस डायरेक्टर डॉ. वैभव मिश्रा। आइए, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम क्या है?
मेयो क्लीनिक के अनुसार, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम को तकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी के नाम से जाना जाता है। यह तब होता है जब अचानक तनाव, सदमा या भावनात्मक झटका दिल की पंपिंग क्षमता को प्रभावित करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, इसके लक्षण हार्ट अटैक के समान होते हैं, लेकिन इसका कारण नसों का ब्लॉकेज नहीं, बल्कि तनाव हार्मोन एड्रेनलिन की अधिकता होती है। यह हार्मोन दिल की मांसपेशियों को अस्थायी रूप से कमजोर कर देता है।
भारत में यह बीमारी क्यों महत्वपूर्ण है?
डॉ. वैभव मिश्रा के अनुसार, "भारत में तनावपूर्ण जीवनशैली बढ़ रही है। नौकरी का दबाव, रिश्तों में तनाव, आर्थिक समस्याएं और बुजुर्गों का अकेलापन इस बीमारी को बढ़ा रहे हैं।" 2023 में इंडियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत के बड़े अस्पतालों में कार्डियक इमरजेंसी में आने वाले 2-3% मरीजों को ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम होता है।
महिलाएं, विशेषकर 40 वर्ष से अधिक उम्र की, इस बीमारी से अधिक प्रभावित होती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी इसे और बढ़ा देती है।
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार, इसके लक्षण हार्ट अटैक के समान होते हैं। इसमें अचानक सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, पसीना आना और घबराहट शामिल हैं। मेयो क्लीनिक की एक स्टडी बताती है कि ऐसे मरीजों के ईसीजी और ट्रोपोनिन स्तर में गड़बड़ी होती है, लेकिन एंजियोग्राफी में नसों में कोई ब्लॉकेज नहीं मिलता। यही इस बीमारी की पहचान का सबसे बड़ा संकेत है।
किसे है अधिक खतरा?
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोग अधिक जोखिम में होते हैं। इनमें शामिल हैं:
- 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, विशेषकर मेनोपॉज के बाद
- तनावपूर्ण नौकरियों में काम करने वाले लोग (जैसे बैंकिंग या आईटी)
- अकेलापन या डिप्रेशन से जूझ रहे बुजुर्ग
- अचानक सदमा झेलने वाले लोग, जैसे किसी प्रियजन का निधन या बड़ा आर्थिक नुकसान
डॉक्टरों की राय
डॉ. आशीष कुमार कहते हैं, "यह बीमारी हार्ट अटैक जैसी दिखती है, लेकिन इसमें नसें बंद नहीं होतीं। तनाव के कारण दिल की मांसपेशियां अचानक कमजोर पड़ जाती हैं।" वहीं, डॉ. वैभव मिश्रा चेतावनी देते हैं, "भारत में लोग अक्सर सीने के दर्द को गैस समझकर टाल देते हैं। कई बार यह ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम होता है, जिसे गंभीरता से लेना जरूरी है।"
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का उपचार
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की गाइडलाइंस के अनुसार, इसका उपचार अस्पताल में निगरानी और दवाओं से किया जाता है। इसमें बीटा-ब्लॉकर, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली दवाएं और एंटी-एंग्जायटी दवाएं शामिल होती हैं। एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 90% से अधिक मरीज सही समय पर इलाज मिलने पर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। बचाव के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। साथ ही, परिवार और दोस्तों से खुलकर बात करना और भावनाओं को साझा करना भी आवश्यक है।
शोध क्या कहते हैं?
सितंबर 2025 तक के शोध, जैसे लांसेट और जेएएमए कार्डियोलॉजी, बताते हैं कि इस बीमारी के 70-80% मरीज महिलाएं होती हैं। 2023 की इंडियन हार्ट जर्नल रिपोर्ट के अनुसार, तनाव, पारिवारिक दबाव और अकेलापन भारत में इसके प्रमुख कारण हैं।
भारतीय जीवन से जुड़ा उदाहरण
डॉ. आशीष कुमार बताते हैं, "भारत में हमने अक्सर सुना है कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी कुछ ही दिनों में चल बसी। या किसी मां ने बेटे को खोने के बाद दिल की समस्याएं शुरू कर दीं। पहले इन्हें भावनात्मक कहानियां समझा जाता था, लेकिन अब हम जानते हैं कि यह ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम हो सकता है।"