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ब्रोकली की खेती: सही समय और विधि जानें

ब्रोकली की खेती किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस लेख में, हम जानेंगे कि ब्रोकली की पौध कैसे तैयार करें, बीज बोने की सही विधि क्या है, और खेत की तैयारी कैसे करें। सही समय पर रोपाई करने से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख में।
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ब्रोकली की खेती: सही समय और विधि जानें

ब्रोकली की खेती की बढ़ती लोकप्रियता

कुंजपुरा (करनाल) में ब्रोकली की खेती किसानों के बीच तेजी से प्रचलित हो रही है। सलाद के लिए इसकी निरंतर मांग बनी रहती है। वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करते हुए, एक एकड़ में 80 से 90 क्विंटल कच्चे फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा, जो महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल में सब्जी सलाहकार हैं, ने बताया कि ब्रोकली कोल क्रॉप्स परिवार से संबंधित है और इसे सर्दियों में उगाया जाता है। इसकी उन्नत किस्मों में टोहे और फिस्टा शामिल हैं। 100 से 150 ग्राम बीज से एक एकड़ के लिए पर्याप्त पौध तैयार की जा सकती है।


पौध तैयार करने का सही समय

ब्रोकली की पौध को 1 अगस्त से 15 सितंबर के बीच तैयार करना सबसे उपयुक्त होता है। इसके फूल तीन महीने में तैयार हो जाते हैं। बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। पौधशाला में बीज बोने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना आवश्यक है।


बीज बोने की विधि

ब्रोकली के बीजों को पौधशाला में पटरी पर कतारों में बोना चाहिए। कतारों के बीच की दूरी 4 से 6 सेंटीमीटर और बीजों के बीच की दूरी 1 से 2 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बीजों को हल्की मिट्टी से ढककर, ऊपर केचुआ खाद डालें। सुबह और शाम को नियमित रूप से पानी दें। 5 दिनों में अंकुरण हो जाता है और पौध 25 से 30 दिनों की उम्र में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।


खेत की तैयारी

खेत की गहरी जुताई पलटने वाले हल से करें। इसके बाद 3-4 बार हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करें। अंत में, रोटावेटर से मिट्टी को बारीक करें। ऊंचे बेड बनाएं और उन पर ड्रिप लाइन बिछाएं। प्लास्टिक मल्च से ढक दें। बेड के बीच की दूरी डेढ़ मीटर और नाली की चौड़ाई 30 से 40 सेंटीमीटर रखें, ताकि बारिश का अतिरिक्त पानी आसानी से निकल सके।


रोपाई का तरीका

दोपहर के समय बेड पर पौध रोपें। एक बेड पर 2 कतारें रखें। कतारों के बीच की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद टपका सिंचाई से सुबह और शाम को पानी दें। इससे पौध मजबूत होती हैं और अच्छी उपज मिलती है।