ब्लू लाइट के आंखों पर प्रभाव: जानें कैसे बचें
ब्लू लाइट के आंखों पर प्रभाव
ब्लू लाइट का प्रभाव: आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी और टैबलेट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। हालांकि, इन उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट (Blue Light) हमारी आंखों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
कई लोग मानते हैं कि केवल रात में या लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों को नुकसान होता है, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अधिक गंभीर है। लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में रहना आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं कि ब्लू लाइट क्या है और यह आंखों पर कैसे असर डालती है।
ब्लू लाइट क्या है?
ब्लू लाइट एक उच्च ऊर्जा वाली दृश्य (HEV) लाइट है। इसकी तरंगें छोटी होती हैं, लेकिन इनमें ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है।
सूरज से भी ब्लू लाइट मिलती है, लेकिन डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों पर अधिक प्रभाव डालती है, क्योंकि यह हमारी आंखों के करीब और लगातार होती है।
ब्लू लाइट का आंखों पर प्रभाव
आंखों की नमी में कमी आ जाती है।
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से ब्लू लाइट आंखों की नमी को खींच लेती है, जिससे
सूखापन
खुजली
लालिमा
जलन
जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
रेटिना पर प्रभाव
ब्लू लाइट की उच्च ऊर्जा रेटिना को प्रभावित करती है।
इसके लंबे समय तक संपर्क में रहने से रेटिनल कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
सिरदर्द और माइग्रेन
जो लोग रोजाना कई घंटे फोन या लैपटॉप का उपयोग करते हैं, उन्हें
सिरदर्द
आंखों के पीछे दर्द
माइग्रेन
की समस्या अधिक होती है।
नींद पर प्रभाव
ब्लू लाइट आपके मेलाटोनिन हार्मोन को दबाती है, जो नींद को नियंत्रित करता है।
इसलिए सोने से पहले स्क्रीन देखने से नींद में बाधा, देर से सोने या खराब नींद की समस्या हो सकती है।
डिजिटल आई स्ट्रेन
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों पर तनाव बढ़ता है, जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। इसमें
धुंधला दिखना
आंखों में भारीपन
थकान
जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
हालांकि, ब्लू लाइट पूरी तरह से हानिकारक नहीं है, लेकिन डिजिटल जीवनशैली में इसकी अधिकता आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है।
थोड़ी सावधानी जैसे स्क्रीन टाइम को सीमित करना, ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करना और बीच-बीच में ब्रेक लेना आंखों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।
